एक महीने तक इन हालात से जूझने के बाद कई व्यापारियों ने जीएसटी नंबर लेकर व्यापार शुरू किया। अन्य राज्यों से त्योहारों के लिए कपड़ों के ऑर्डर मिलने लगे थे, लेकिन बाढ़ के कारण व्यापार फिर चौपट हो गया है। यूपी, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल में बाढ़ के कारण लाखों लोग बेघर हो गए और बड़े पैमाने पर जान-माल हानि हुई है। इससे वहां के व्यापारियों ने ऑर्डर रद्द कर दिए हैं। नवरात्रि, दुर्गापूजा और दिवाली को लेकर सूरत के व्यापारियों को करोड़ों के ऑर्डर मिले थे। इसमें भी कटौती हो गई है।
लूम्स कारखानों के श्रमिकों का पलायन
सूरत. जीएसटी के कारण लूम्स कारखाना संचालकों की हालत पतली होती जा रही है। छोटे उद्यमी कारखाना बंद कर रहे हैं और श्रमिक पलायन कर रहे हैं। जीएसटी के कारण कपड़ा उद्योग सबसे अधिक प्रभावित हैं। छोटे वीवर्स की हालत ज्यादा खराब है। 20 लाख रुपए से कम टर्नओवर वाले से जॉब वर्क कराने वाले को रिवर्स मैकनिज्म चार्ज देना होगा। ऐसे में कोई भी उद्यमी छोटे वीवर्स से काम नहीं कराएगा। इसके अलावा वीवर्स को क्रेडिट रिफंड नहीं मिलने के कारण भी नुकसान हो रहा है।
जीएसटी के नियमों की उलझन में पडऩे की अपेक्षा छोटे वीवर्स मशीनें बेच कर कारखाना बंद कर रहे हैं। इससे बेकार हुए श्रमिक वतन जा रहे हंै। वीवर्स आश्ीाष गुजराथी ने बताया कि इन दिनों कपड़ा उद्योग पचास प्रतिशत उत्पादन क्षमता से काम कर रहा है, इसलिए श्रमिकों के लिए संकट खड़ा हो गया है।
& बाहर से पेमेन्ट नहीं आने के कारण कपड़ा व्यापारी इन दिनों आर्थिक तरलता से जूझ रहे हैं। त्योहारों पर खरीद की उम्मीद थी, लेकिन कई राज्यों में बाढ़ के हालात से करोड़ों के ऑर्डर रद्द हुए हैं।अरुण पाटोदिया, व्यापारी
& पहले जीएसटी के कारण व्यापार का नुकसान हुआ और अब बाढ़ के कारण नुकसान हो रहा है। आने वाले दिनों में त्योहारों के कारण अच्छे व्यापार की उम्मीद थी, उस पर पानी फिर गया।
जगदीश कोठारी, व्यापारी
& बाढ़ के कारण पचास प्रतिशत व्यापार कम हो गया है। पिछले दो-तीन साल से त्योहारों के दिनों में बाढ़ के कारण व्यापार प्रभावित हो रहा है। जीएसटी के बाद बाढ़ ने व्यापार घटा दिया है।युवराज देसले, प्रमुख, सूरत टैक्सटाइल ट्रांसपोर्ट गुड्स एसोसिएशन