दावा खोखला साबित हुआ राज्य शिक्षा विभाग नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले आरटीइ प्रवेश पूर्ण करने का दावा रहा था, लेकिन यह दावा खोखला साबित हुआ। पहले चरण की प्रवेश प्रक्रिया स्कूल शुरू होने के बाद तक चली। फिर मामला अदालत में पहुंचने के कारण दूसरे चरण की प्रवेश प्रक्रिया रोक दी गई, जिससे कई बच्चे प्रवेश से वंचित रह गए। दो महीने बाद 13 अगस्त से दूसरे चरण की प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई। इससे पहले अभिभावकों ने कई बार प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के बारे में पूछताछ की थी, लेकिन उन्हें उचित जवाब नहीं मिला। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर काट-काटकर अभिभावक परेशान हो गए। दूसरी ओर स्कूल शुरू हो गए। अभिभावकों को लगा कि दूसरे चरण की प्रवेश प्रक्रिया जल्द शुरू नहीं हुई तो उनके बच्चों का साल बिगड़ सकता है, इसलिए उन्होंने बच्चों को अन्य स्कूलों में प्रवेश दिलवा दिया।
आरटीइ प्रवेश प्रक्रिया को दो चरणों में विभाजित किया गया था
इस बार आरटीइ प्रवेश प्रक्रिया को दो चरणों में विभाजित किया गया था। पहला चरण जून में पूरा हो गया था। इसमें सूरत कॉर्पोरेशन में 6,301 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। जिन्हें इस चरण में नहीं चुना गया, उन्हें दूसरे चरण का इंतजार करने को कहा गया था। शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बावजूद दूसरे चरण की घोषणा नहीं की गई थी। कई स्कूलों ने खुद को अल्पसंख्यक बताकर आरटीइ प्रवेश के तहत चुने विद्यार्थियों को प्रवेश देने से मना कर दिया। मामला अदालत में पहुंचा तो सूरत जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा था कि आरटीइ प्रवेश का दूसरा चरण कब शुरू होगा, फिलहाल तय नहीं है। इससे सैकड़ों अभिभावक परेशान थे। दो महीने के इंतजार के बाद 13 अगस्त से आरटीइ के दूसरे चरण की प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई है। प्रवेश के इच्छुक 400 से अधिक विद्यार्थियों में से करीब 140 को स्कूलों में प्रवेश के लिए चुना गया है। अभिभावकों और विद्यार्थियों को स्कूल पहुंचकर प्रवेश लेने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य शिक्षा विभाग ने दूसरे चरण की प्रवेश प्रक्रिया 21 अगस्त तक पूर्ण कर लेने के आदेश दिए हैं। दूसरे चरण में चुने गए विद्यार्थियों को प्रवेश के लिए स्कूलों को भी आदेश दिया गया है।