RTE ADMISSION : आरटीइ की 15 हजार सीटों के मुकाबले 23 हजार आवेदन
सूरतPublished: Apr 26, 2019 08:24:55 pm
आज आवेदन का आखिरी दिन, 15 हजार से अधिक मान्य
RTE ADMISSION : आरटीइ की 15 हजार सीटों के मुकाबले 23 हजार आवेदन
सूरत. राइट टू एज्यूकेशन (आरटीआइ) के अतंर्गत सूरत में अब तक 23 हजार से अधिक आवेदन मिले हैं। 19 हजार से अधिक आवेदनों का पंजीकरण हो गया है। इनमें से 15 हजार से अधिक प्रवेश के लिए मान्य किए गए हैं। आवेदन स्वीकारने का शुक्रवार के अंतिम दिन है।
शैक्षणिक सत्र 2019-20 के आगाज से पहले प्रशासन आरटीइ प्रवेश को निपटाने के प्रयास कर रहा है। आरटीइ के तहत प्रवेश की इच्छा रखने वालों से ऑनलाइन आवेदन भरवाए गए हैं। गुरुवार को ऑनलाइन प्रवेश फॉर्म भरने का अंतिम दिन था। अब तक ऑनलाइन 23 हजार 463 फार्म भरे गए। इनमें से 19 हजार 59 फॉर्म रिसीविंग सेंटर पर जमा हो गए हैं। 15 हजार 108 फॉर्म को प्रवेश के लिए मान्य रखा गया है। रिसीविंग सेंटर पर फॉर्म स्वीकारने का शुक्रवार को अंतिम दिन है। इसके बाद स्पष्ट होगा कि कितने फॉर्म मान्य रखे गए और कितने खारिज किए गए। सूरत में 15 हजार सीटों पर प्रवेश दिया जाना है। सीटों से अधिक फॉर्म मान्य हुए तो समस्या खड़ी हो सकती है। दूसरी ओर स्कूल अपनी तरफ से आरटीइ में प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों की जांच करने की तैयारी में जुटे हैं। स्कूल जांच करेंगे कि जिस विद्यार्थी को आरटीइ में प्रवेश मिला है, वह इसका हकदार है या नहीं। पिछले साल कई बच्चों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे। इससे उनके प्रवेश रद्द करने पड़े थे। कई अभिभावकों ने फर्जी प्रमाण पत्रों के माध्यम से आरटीइ में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। जांच के बाद फर्जी प्रमाण पत्रों का मामला सामने आया था। पिछले साल 1400 से अधिक प्रमाण पत्रों को फर्जी पाया गया था। इससे पहले भी कई फर्जी प्रवेश हुए थे। इस बार स्कूल ध्यान रख रहे हैं कि उनके यहां होने वाले प्रवेश फर्जी न हों। स्कूल अपनी ओर से अभिभावक और विद्यार्थी की जांच करने की तैयारी में जुटे हैं।
चुनाव को लेकर बढ़ाई गई थी समय सीमा
लोकसभा चुनाव के कारण प्रमाण पत्र मिलने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए आरटीइ प्रवेश की समय सीमा 25 अप्रेल तक बढ़ा दी गई थी। गौरतलब है कि पिता के नाम पर बीपीएल कार्ड होने पर ही विद्यार्थी आरटीइ प्रवेश के लिए मान्य होगा। दादा के नाम पर कार्ड होने पर दिक्कत आ सकती है। पिता के नाम पर ही बीपीएल कार्ड होने के नियम के कारण अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि ज्यादातर अभिभावकों के कार्ड उनके पिता के नाम पर हैं। प्रवेश के लिए उन्हें अपने नाम पर कार्ड बनवाना पड़ेगा।