कोयला आधारित इस व्यवस्था के चलते सरकारी तंत्र ने इससे होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए नियम तो बनाए हैं, लेकिन वे मात्र खानापूर्ति ही हैं। जीपीसीबी और पांडेसरा के औद्योगिक एसोसिएशन ने चिमनी पर कैमरे भी लगाए हैं, लेकिन उनकी मॉनिटरिंग खानापूर्ति भर की है। जीपीसीबी के अधिकारियों का दावा है कि प्रदूषण नियंत्रण में है, लेकिन कई इकाइयों की यूनिट से अभी भी बगैर ट्रीटमेन्ट के काला धुआं आसमान में छोड़ा जाता है, जो वायु प्रदूषण फैलाता है। कुछ उद्यमी कोयले के स्थान पर मनमाने ढंग से अन्य चीजों का इस्तेमाल भी करते बताए जाते हैं। इसका धुआं सेहत और वातावरण के लिए बेहद हानिकारक है।