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सूरत

अब अपनी गर्दन बचाने की कवायद

पीएनबी प्रकरण के साइड इफेक्टसाख वाले खातेदारों पर भी बकाया रिकवरी का दबाव

सूरतMar 04, 2018 / 10:25 pm

Sunil Mishra


विनीत शर्मा. सूरत. पीएनबी के नीरव मोदी प्रकरण बैंक कर्मियों की गिरफ्तारी के बाद अब कोई अन्य बैंककर्मी सलाखों के पीछे जाना नहीं चाहता। अपनी गर्दन बचाने की कवायद में बैंक प्रबंधन साख वाले खातेदारों पर भी बकाया ऋण की रिकवरी का दबाव बना रहे हैं। यहां तक कि हाउसिंग जैसे छोटे ऋण की किश्त भी तीन महीने रुकती है तो बैंककर्मी उसके घर के चक्कर लगाने लगे हैं।
नोटबंदी और जीएसटी का देशभर में सबसे ज्यादा असर सूरत में देखने को मिला। पहले नोटबंदी और फिर जल्दबाजी में लिए गए जीएसटी पर अमल के फैसले ने हीरा और कपड़ा कारोबारियों की कमर तोड़कर रख दी। स्थिति यह बनी कि छोटे ही नहीं बड़े कारोबारियों के समक्ष भी नकदी का संकट खड़ा हो गया और इन दोनों सेक्टर्स से बड़ी संख्या में लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। कामधंधा कमजोर हुआ तो कारोबारी भी मंदी का शिकार हो गए। हालात सुधरते इससे पहले पीएनबी में नीरव मोदी प्रकरण सामने आया तो इन कारोबारियों पर एकसाथ कई सरकारी एजेंसियों की स्केनिंग शुरू हो गई।
नीरव मोदी प्रकरण में जिस तरह से पीएनबी के बैंक अधिकारियों पर शिकंजा कसा गया और उनकी गिरफ्तारियां हुईं, उसने देशभर में बैंककर्मियों को सकते में ला दिया। अब स्थिति यह है कि सभी बैंकों के शीर्ष प्रबंधन ने अपने अधीनस्थों को बकाया लोन की रिकवरी और एनपीए क्लीयर करने के काम में लगा दिया है। नीरव मोदी की सूरत से संबद्धता को देखते हुए सभी बैंकों ने सूरत शाखाओं में अपनी सक्रियता बढ़ाई है।

खंगाल रहे फैक्ट शीट
नीरव मोदी प्रकरण से सबक लेते हुए कोई बैंक अधिकारी भी खुद को सलाखों के पीछे देखना नहीं चाहता। यही वजह है कि लोन चाहे जिसने जारी किया हो, बैंककर्मी अपनी खाल बचाने के लिए उसकी फैक्टशीट खंगाल रहा है। साखदार जिन ग्राहकों को बैंक रिकवरी में ढील रखता था अब उन पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। ऐसे में नोटबंदी और जीएसटी से बेहाल कारोबारी जो बैंक से लोन लेकर धंधा कर रहे थे, उनके सामने मुश्किल खड़ी हो गई है।

साख पर सवाल
लोन खाते अनियमित होते ही बैंककर्मी उनके प्रतिष्ठानों पर आकर रिकवरी के लिए दबाव बनाना शुरू कर देते हैं। बैंक अधिकारियों के रोज-रोज आने से उन्हें भी दूसरे कारोबारियों को जवाब देना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में कारोबारियों के लिए बाजार में अपनी साख बचाए रखना भी मुश्किल हो रहा है।

छोटे लोन पर भी दबाव
बड़े लोन ही नहीं हाउसिंग जैसे छोटे लोन पर भी बैंक रिकवरी का दबाव बनाया जा रहा है। जिन हाउसिंग लोन की तीन किश्त भी बकाया रहती है, बैंक की रिकवरी टीम उन घरों में पहुंचकर तफ्तीश शुरू कर देती है। ऐसे लोन पर हालांकि सख्ती नहीं बढ़ाई जा रही लेकिन रिकवरी टीम के आ धमकने से जो दबाव बनता है, उससे बकाया लोन बैंकों में जमा होने लगा है।

रियलटी सेक्टर पर भी दबाव
जिस तरह से शहर का कारोबार बढ़ा, रियलटी सेक्टर ने तेजी से उड़ान भरी थी। हीरा और कपड़ा कारोबारियों ने धंधे से कमाई रकम का रियलटी सेक्टर में निवेश किया था। बिल्डर लॉबी ने भी अपने प्रोजेक्ट्स के लिए बैंकों से बड़े लोन लिए हैं। नोटबंदी और जीएसटी का असर रियलटी सेक्टर पर भी देखने को मिला और अचानक बाजार से खरीदार गायब हो गए। जिसका दबाव बिल्डर लॉबी पर भी पड़ा और उनके प्रोजेक्ट्स अटके पड़े हैं। बकाया रिकवरी के लिए बैंकों ने बिल्डरों पर भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
क्रिटिकल है स्थिति
पीएनबी स्केम इतना बड़ा है कि दूसरे बैंकों के समक्ष भी क्रिटिकल स्थिति बनी है। बकाया रिकवरी के लिए दूसरे बैंक भी दबाव बना रहे हैं। हम अपना एनपीए क्लीयर कर लेना चाहते हैं। बड़े लोन पर वॉच रख रहे हैं और उनपर बकाया रिकवरी के लिए दबाव बना रहे हैं।
अनिल दुबे, बैंक अधिकारी, बैंक ऑफ इंडिया, सूरत
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