देशभर के स्मार्ट हो रहे शहरों की रैंकिंग में इस बार नागपुर अव्वल आया है। 226.37 अंकों के साथ सूरत गुजरात में दूसरे और देशभर में पांचवें स्थान पर रहा है। एरिया बेस डवलपमेंट में रेट्रोफिकेशन पैटर्न पर बात करें तो नागपुर का काम सूरत से कहीं बेहतर रहा है। नागपुर ने अधिकांश कामों में सूरत को पछाड़ा है। एकमात्र स्मार्ट डस्टबिन ऐसा रहा, जहां नागपुर सूरत से पीछे है। ओवरऑल रैंकिंग में सूरत ही नहीं, देश के तीन और शहरों को पीछे धकेल नागपुर शीर्ष पर काबिज हो गया। सूरत के मुकाबले नागपुर ने १३३.८४ अंकों से बढ़त बनाई थी।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में सूरत के पिछडऩे की वजह अधिकारियों ने किए गए कामों का डाक्यूमेंटेशन नहीं होना बताया था। अधिकारियों को पहले से पता था कि कामों का समय से डाक्यूमेंटेशन करना है, इसके बावजूद इसे गंभीरता से नहीं लिया गया, जिसका नतीजा यह रहा कि सूरत टॉप टेन में भी जगह नहीं बना सका था। इसी तरह स्मार्ट सिटी की रैंकिंग के पैरामीटर भी पहले से स्पष्ट थे। इसके बावजूद सूरत पिछड़ता है तो मनपा प्रशासन और सत्तापक्ष भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता।
देश के 100 शहरों में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रही योजनाओं के क्रियान्वयन के आधार पर रैंकिंग की जाती है। जारी किए गए टेंडर, वर्क ऑर्डर और पूरे हुए विकास कार्यों के लिए अलग-अलग अंक दिए जाते हैं। जारी किए गए फंड के इस्तेमाल के लिए भी अंक दिए जाते है। इन सारे अंकों के आधार पर रैंकिंग निकाली जाती है।
इस तरह आगे रहा नागपुर नागपुर ने रेट्रोफिकेशन पैटर्न पर काम करते हुए स्मार्ट सिटी एरिया में 1045 रनिंग किमी रास्ते पर 706 जंक्शन पर 3674 सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। सूरत में आइटीएमएस ने करीब 200 जंक्शनों पर साढ़े तीन सौ के आसपास कैमरे ही लगाए हैं। इसके अलावा नागपुर में जहां आमजन के इस्तेमाल के लिए 140 जगहों पर वाइफाइ स्टेशन लगाए हैं, सूरत में यह संख्या महज 6-7 गार्डन तक सिमट कर रह गई। सूरत में करीब 30 वाइफाइ स्टेशन लगाए हैं, जिनमें अधिकांश मनपा के दफ्तरों में लगे हैं। नागपुर ने लोगों को जानकारी देने के लिए 53 वेरिएबल मैसेज साइन बोर्ड, ५६ पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम, 65 सिटी कियोक्स, 338 स्मार्ट लाइट्स समेत दूसरे इंतजाम किए हैं, जो सूरत ने सोचे भी नहीं।
पर्यावरण पर भी नागपुर गंभीर उद्योग नगरी सूरत कई साल से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से त्रस्त है। कल-कारखानों से निकलता धुआं ही नहीं, वाहनों से निकलता ईंधन, कंस्ट्रक्शन साइट्स से उठती धूल समेत दूसरे स्रोतों से हवा में हर पल जहर घुल रहा है। इसके बावजूद मनपा प्रशासन ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। स्मार्ट सिटी एरिया में मनपा ने केवल दो एन्वायरमेंटल सेंसर लगाए हैं, जबकि नागपुर ने दस। नागपुर पालिका के पास अपने पांच ड्रोम और पांच मोबाइल सर्विलेंस वैन हैं।
अब तक 364 करोड़ के ही काम हुए स्मार्ट सिटी के तहत मनपा प्रशासन ने 2690.14 करोड़ रुपए के 70 प्रोजेक्ट्स का काम हाथ में लिया था। इनमें तीन साल बाद महज 364.90 करोड़ रुपए के 28 प्रोजेक्ट्स ही पूरे हो पाए हैं। 1882.63 करोड़ रुपए के 31 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। सबसे बड़ी बात यह कि पांच साल में स्मार्ट बनाने के लक्ष्य के साथ शुरू हुए काम में दो साल का समय भी नहीं बचा है और 442.55 करोड़ रुपए के 11 प्रोजेक्ट्स टेंडर स्टेज से बाहर नहीं निकले।