यह है पांच अहम वस्तुएं
सूर्य पूजा में बांस की बनी टोकरी, ठेकुआ, गन्ना, केलों का गुच्छा और नारियल को अहम माना गया है। व्रती पूजन सामग्री बांस की टोकरी में भरकर घाट पर जाते हैं और एक-एक प्रसाद का अस्ताचल में परिगमन करते सूर्यदेव को अघ्र्य देते हैं। पंडितों के अनुसार इस बार छठ पर्व के साथ अच्छे संयोग बन रहे हैं। मंगलवार सायंकालीन अघ्र्य के समय सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग का संयोग है, और बुधवार प्रात:कालीन अघ्र्य के दौरान छत्र योग बन रहा है।
सूर्य पूजा में बांस की बनी टोकरी, ठेकुआ, गन्ना, केलों का गुच्छा और नारियल को अहम माना गया है। व्रती पूजन सामग्री बांस की टोकरी में भरकर घाट पर जाते हैं और एक-एक प्रसाद का अस्ताचल में परिगमन करते सूर्यदेव को अघ्र्य देते हैं। पंडितों के अनुसार इस बार छठ पर्व के साथ अच्छे संयोग बन रहे हैं। मंगलवार सायंकालीन अघ्र्य के समय सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग का संयोग है, और बुधवार प्रात:कालीन अघ्र्य के दौरान छत्र योग बन रहा है।
इन्होंने की खास व्यवस्था
बिहार जनसेवा संघ ने डोकमर्डी खाड़ी पर 5 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के लिए पूजा-अर्चना की व्यवस्था की है। घाट पर पेयजल, रोशनी एवं प्राथमिक पेटी रखी गई है। मंगलवार दोपहर बाद व्रती घाट पर एकत्र होंगे। वहीं, अथाल में दमणगंगा किनारे ऑल इंडिया पिपल्स एसोसिएशन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं पूजा-अर्चना के लिए विशेष प्रबंंध किए हैं। यहां छठी मैया की पूजा के लिए 10 हजार से अधिक श्रद्धालु जुटेंगे और अथाल ब्रिज पर दूर-दूर तक श्रद्धालु दिखाई देंगे। बाविसा फलिया व पिपरिया में षष्ठी मैया की पूजा के लिए आयोजकों ने रोशनी, पूजन सामग्री व सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। मसाट में नहर किनारे सूर्य पूजा होगी।