जलवायु परिवर्तन के खतरों को लेकर दुनिया (world) के देशों में बीते एक दशक से जागरुकता आई है। जिन्होंने जलवायु परिवर्तन के खतरों को भांप लिया, विभिन्न संस्थाएं और संगठन अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। रेजिलेंस सिटी समेत कई बड़ी संस्थाएं वैश्विक स्तर (world wide) पर दुनियाभर के लोगों को जलवायु परिवर्तन के खतरों से आगाह करने के साथ ही उन्हें जलवायु परिवर्तन से निपटने में तकनीकी व अन्य सहयोग भी कर रही हैं। रेजिलेंस सिटी (resilience city) ने तो गुजरात में सूरत (surat) को इसके मॉडल के रूप में चुना और क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए गाइडलाइन तैयार करने में भी मदद की।
इसी क्रम में कान्फरेंस ऑफ यूथ ने भी दुनिया को क्लाइमेट चेंज के खतरों से आगाह करने और उससे निपटने के उपाय खोजने की कवायद शुरू की। कान्फरेंस ऑफ यूथ ने इस मिशन में युवाओं को अपने साथ जोड़ा और उनके साथ विमर्श कर क्लाइमेट चेंज के खतरों से निपटने के उपाय तलाशने शुरू किए।
इसके लिए हर देश में लोकल कान्फरेंस ऑफ यूथ के तहत वर्ष में एक बार कान्फरेंस कर युवाओं के साथ विमर्श किया जाता है। देश में इसका पहला एडिशन वर्ष 2015 में अहमदाबाद में हुआ। सेंटर फॉर एन्वायरमेंट एज्युकेशन (centre for environment education) ने उसके बाद लगातार तीन और एडिशन अहमदाबाद (Ahmedabad) में आयोजित किए गए। इस दौरान युवाओं को एक मंच पर लाकर जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों पर विमर्श के साथ ही अपने स्तर पर युवाओं की कोशिशों को साझा किया जाता है।
लोकल कान्फरेंस ऑफ यूथ के पांचवे एडिशन (fifth edition) के लिए इस बार ब्रह्माकुमारी संस्थान आगे आया है। यह आयोजन एक से पांच नवंबर तक आबूरोड में आयोजित किया जाएगा। संस्थान की एन्वायरमेंट इनीशिएटिव (environment initiatives) विंग के बीके शांतनु ने बताया कि इस बार दो सौ से ज्यादा युवाओं को समिट में लाने का लक्ष्य है। अपने क्षेत्र में क्लाइमेट चेंज की चुनौती (climate change challenges) से निपटने के लिए युवाओं ने अपने स्तर पर जो प्रयास किए हैं, उन्हें साझा किया जाएगा।