अचानक निगम की बसें बंद हो जाने से सूरत तथा वलसाड डिवीजन से दक्षिण गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में जाने वाले मुसाफिरों की परेशानी बढ़ गई है। दिनभर सैकड़ों यात्री बस नहीं मिलने के कारण दूसरा विकल्प तलाशते दिखाई दिए। गुजरात स्टेट ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फैडरेशन, गुजरात राज्य एसटी कर्मचारी महामंडल तथा गुजरात एसटी मजदूर महासंघ के नेतृत्व में राज्य के एसटी निगम कर्मचारी दो दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे थे। मांगें नहीं स्वीकारे जाने पर यूनियनों ने बुधवार रात 12 बजे से सभी कर्मचारियों के मास सीएल पर जाने का निर्णय किया।
कर्मचारियों ने रात को डिपो के नजदीक बसें खड़ी कर दीं और सेंट्रल बस स्टैण्ड पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। गुजरात एसटी मजदूर महासंघ की सूरत शाखा के प्रमुख रसीद शेख ने बताया कि विधानसभा में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा है कि फायदे वाले निगमों को ही सातवां वेतन आयोग दिया जाएगा। यूनियन पूछना चाहती है कि जिस निगम को सातवां वेतन आयोग दिया है, क्या वह फायदे में चल रहा है। यूनियन ने कई बार सरकार को ज्ञापन सौंपा, धरना प्रदर्शन किया, लेकिन मांगों पर विचार नहीं हुआ। सरकार ने अलग-अलग क्षेत्रों में वोल्वो तथा एसी बसें चलाई हैं, जो नुकसान में हैं। इन बसों में सफर करने वाले पैसेंजरों की संख्या एसटी निगम की बसों के मुकाबले आधी से भी कम है।
सूरत डिपो से बारडोली, सोनगढ़, व्यारा, तापी तथा वलसाड डिपो से नवसारी, वापी, वलसाड, डांग, बिलीमोरा डिपो तक बसों का संचालन होता है। गुरुवार को सूरत डिपो से ५६० बसें और करीब ३५०० ट्रिप, वलसाड डिपो से ४०६ बसें और करीब ३६०० ट्रिप रद्द होने से ८६ लाख रुपए की आय का नुकसान हुआ। सूरत, नवसारी, वलसाड, वापी, तापी, सोनगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में सफर करने वाले मुसाफिरों की परेशानी बढ़ गई है।
एसटी कर्मचारियों की मुख्य मांगें
एक जनवरी, 2016 से सातवें वेतन आयोग का लाभ दिया जाए।
फिक्स वेतन के कर्मचारियों को सरकारी नियम के मुताबिक वित्तीय लाभ तथा अन्य सुविधाएं दी जाएं।
कर्मचारियों की बदली संबंधी परिपत्र नं. २०७७ तुरंत रद्द किया जाए।
निगम के जीएसओ परिपत्र में हाल में किए गए सुधार को रद्द किया जाए।
वर्ग-3/वर्ग-4 के कर्मचारियों की बिना कारण की गई बदली रद्द कर मूल जगह भेजा जाए।
निजी वाहनों को किराए पर लेकर विभागीय संचालन बंद किया जाए।
पार्ट टाइम कर्मचारियों के कार्य के घंटों में बढ़ोतरी की जाए।
ड्राइवर-कम कंडक्टर से कोई एक कार्य ही लिया जाए।
सेटलमेंट की धारा ४७ के बार-बार भंग करना रोका जाए।
ट्रेन से गए वडोदरा
पांडेसरा में गुजरात हाउसिंग बोर्ड महादेवनगर निवासी विजय बिंद एम्ब्रोयडरी कारखाने में काम करता है। वह गुरुवार को पत्नी, बहन और भांजे के साथ वडोदरा जाने के लिए सेंट्रल बस स्टैण्ड आया, लेकिन पता चला कि बसों की हड़ताल है। उसने ट्रेन से वडोदरा का सफर तय किया।
शादी में पहुंचना तक हो गया मुश्किल
सोसियो सर्किल के पास रहने वाला विपुल कांति गामित लॉन्ड्री में कार्य करता है। वह गुरुवार को तीन दोस्तों के साथ डोलवन तहसील के पाटी गांव जाने के लिए सेंट्रल बस स्टैण्ड आया। उसके दोस्त की गांव में 22 फरवरी को शादी है। वह बस नहीं मिलने से परेशान है। उसने बताया कि गांव में ट्रेन की सुविधा नहीं है। निजी वाहन का खर्च काफी ज्यादा है।
चार घंटे बाद मिली ट्रेन
सहारा दरवाजा के पास रहने वाला पिन्टु पाडवी नंदुरबार के कुकरमुंडा गांव का निवासी है। उसके दोस्त आकाश की शाहदा तहसील में मार्च में शादी है। वह उसके लिए कपड़े की खरीद करने दोस्तों के साथ सूरत आया था। सेंट्रल बस स्टैण्ड पहुंचने के बाद पता चला कि बस की हड़ताल है। चार घंटे बाद वह शाम को सूरत स्टेशन से भुसावल जाने वाली पैसेंजर ट्रेन में गांव गया।
शादियों में जाने वाली 33 बसें भी हुईं रद्द
भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश मंत्री अनिल निशाद ने बताया कि दक्षिण गुजरात में सूरत तथा वलसाड डिपो से दक्षिण गुजरात के हरेक गांव तक बसों का संचालन होता है। शादियों के सीजन में वलसाड डिपो से गुरुवार को अलग-अलग समारोह के लिए 30 तथा सूरत डिपो से 3 बसें बुक की गई थीं। हड़ताल के कारण इन बसों का संचालन भी रद्द कर दिया गया। कर्मचारियों की हड़ताल के कारण निगम ने आगामी बुकिंग लेने से इनकार कर दिया।
रास्ते पर लेटकर निजी ट्रैवल्स का विरोध
एसटी कर्मचारियों के हड़ताल पर उतर जाने से सरकार ने निजी ट्रैवल्स की बसों को डिपो से चलाने की व्यवस्था शुरू करने के लिए बैठकों का दौर शुरू किया है। इसकी जानकारी मिलने पर निगम कर्मचारियों ने सडक़ों पर लेट कर डिपो से निजी बसों के संचालन का विरोध किया।
ट्रेन पकडऩी पड़ी
बॉम्बे मार्केट सांई कृपा अपार्टमेंट निवासी प्रकाश गोस्वामी गुरुवार दोपहर पत्नी रेखा के साथ अंकलेश्वर जाने के लिए सेंट्रल बस स्टैण्ड आया। बस हड़ताल के बारे में पता चलने पर वह ट्रेन पकडऩे के लिए सूरत रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ गया।