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रिश्तेदारों ने मना किया कि रात में घर मत जाइए लेकिन नहीं माना, सुबह टुकड़ों में बिखरी मिली लाश

locationसुरजपुरPublished: Sep 17, 2018 05:31:22 pm

मेहमानी से लौट रहे ग्रामीण का जंगल में हो गया मौत से सामना, घेरकर मार डाला और बिखेर दिया शव

Forest and police team on the spot

Forest and police team in spot

केरता. प्रतापपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत निवासी एक ग्रामीण मेहमानी करने बगल के गांव में गया था। रात में वह घर लौटने लगा तो रिश्तेदारों ने मना किया कि यही ठहर जाइए लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। सुबह तक जब वह घर नहीं पहुंचा तो परिजन उसे खोजने निकले। इसी बीच गांव के लोगों ने किसी की टुकड़ों में बिखरी लाश देखी।
खबर पाकर परिजन भी पहुंचे, फिर उन्होंने कपड़े से उसकी पहचान की। हाथियों ने उसे विभत्स तरीके से कुचलकर मारने के बाद लाश को जगह-जगह बिखेर दिया था। सूचना पर वन अमला व पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। वन अधिकारियों ने मृतक के परिजन को तात्कालिक सहायता राशि के रूप में 25 हजार रुपए प्रदान किए।

सरगुजा संभाग में हाथियों का आतंक है। हाथी आए दिन जहां लोगों के घर तोड़ रहे हैं वहीं जान भी ले रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र से सामने आया है। धरमपुर से लगे ग्राम गौरा निवासी विश्वनाथ अगरिया पिता बूचल 50 वर्ष रविवार को ग्राम भरदा में मेहमानी में गया था।
Body parts
रात करीब 9 बजे वह वहां से लौटने लगा तो रिश्तेदारों ने मना किया। उन्होंने कहा कि रात ज्यादा हो चुकी है, यहीं रुक जाइए लेकिन उसने यह कहकर मना कर दिया कि पास में ही घर है जल्द ही पहुंच जाऊंगा। इसके बाद वह वहां से निकल गया। इसी बीच रास्ते में उसका 4 हाथियों के दल से सामना हो गया।
हाथियों को देखकर वह जान बचाने भागा लेकिन उन्होंने उसे घेर लिया तथा कुचलकर मार डाला। यही नहीं, हाथियों ने उसके शव के कई टुकड़े कर जगह-जगह बिखेर दिए। सुबह उसे खोजने पहुंचे परिजन उसके लाश की हालत देख सिहर उठे।

सूचना के बाद पहुंचा वन अमला
ग्रामीणों ने घटना की सूचना वन विभाग को दी। सूचना मिलते ही एसडीओ प्रभात खलखो, रेंजर डीएन जायसवाल, वनपाल गुलशन यादव, प्रतापपुर टीआई ओमप्रकाश कुजूर समेत अन्य मौके पर पहुंचे। उन्होंने पंचनामा व पीएम पश्चात शव परिजन को सौंप दिया। वहीं तात्कालिक सहायता राशि के रूप में परिजन को 25 हजार रुपए प्रदान किए गए। इधर परिजन व गांव में शोक की लहर व्याप्त है।

नहीं कराई थी मुनादी, ग्रामीणों में रोष
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में हाथियों के पहुंचने की सूचना वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को नहीं दी गई थी। मुनादी नहीं कराए जाने से ग्रामीण इस बात से अंजान थे कि हाथियों का दल यहां पहुंच चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि वन विभाग द्वारा मुनादी कराई गई होती तो विश्वनाथ की जान बच सकती थी। इसे लेकर ग्रामीणों में रोष भी है। फिलहाल एक हाथी बगड़ा तथा 3 भरदा में डटे हुए हैं।

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