2017 के विधानसभा चुनाव की सबसे दिलचस्प बात यह थी कि जिले की 5 विधानसभा में से जिन 4 सीटों पर भाजपा ने जीत का परचम लहराया था, वह सभी गैर भाजापाई थे। लेकिन जिस इसौली सीट पर भाजपा चुनाव हार गई, उस पर भारतीय जनता पार्टी ने जिले के सबसे लोकप्रिय एवं कर्मठी नेता ओमप्रकाश बजरंगी को टिकट दिया था। उनके चुनाव प्रचार में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और उमा भारती सहित अनेक दिग्गजों ने चुनावी सभा की थी, लेकिन उसके बावजूद उन्हें चुनाव में हार नसीब हुई थी। वर्तमान में भले ही सुलतानपुर संसदीय सीट पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन इस सीट पर सबसे ज्यादा बार कांग्रेस को विजय मिली है। ऐसे में 2019 का लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प रहने की उम्मीद है।
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सुलतानपुर सीट2017 के विधानसभा के चुनाव में जिन चार भाजपा उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी, उनमें सुलतानपुर विधानसभा क्षेत्र से विजयी हुए सूर्यभान सिंह ने राजनीतिक जीवन संजय विचार मंच के मंच से शुरू किया था। वर्ष 1989 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर जयसिंहपुर (सदर) विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा पहुंचे थे। उसके बाद सूर्यभान सिंह ने जनता दल से नाता तोड़ कर भाजपा का दामन थामा और भाजपा के टिकट पर सदर (अब सुलतानपुर ) विधानसभा चुनाव चुनाव लड़कर विधायक बने थे। लेकिन वह ज्यादा दिनों तक भाजपा में नहीं रह पाये और बसपा में शामिल हो गये। 2007 के विधानसभा चुनाव में जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो एक बार फिर से भाजपा में चले गए। उनके लिए इंतजार की घड़ियां उस वक्त खत्म हो गई, जब सूर्यभान सिंह को भाजपा से टिकट मिला और वे चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।
सदर विधानसभा सीट
सदर (जयसिंहपुर) विधानसभा से भाजपा विधायक सीताराम वर्मा पहले सरकारी नौकरी में थे। बताया जाता है कि नौकरी में रहते हुए उनका सम्पर्क कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से हो गया, जिसके कारण नौकरी रिजाइन देने के बाद उन्होंने बसपा के समर्थन में जिला पंचायत चुनाव लड़ा और जिला पंचायत सदस्य बने। इसके बाद वह बसपा के समर्थन से जिला पंचायत अध्यक्ष बने। एक मामले में उन्हें महीनों जेल की हवा भी खानी पड़ी। जेल से निकलते ही उन्होंने बसपा से नाता तोड़ लिया और डह स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा में शामिल हो गये तो वह भी बीजेपी में शामिल हो गये और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक चुने गये।
सदर (जयसिंहपुर) विधानसभा से भाजपा विधायक सीताराम वर्मा पहले सरकारी नौकरी में थे। बताया जाता है कि नौकरी में रहते हुए उनका सम्पर्क कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से हो गया, जिसके कारण नौकरी रिजाइन देने के बाद उन्होंने बसपा के समर्थन में जिला पंचायत चुनाव लड़ा और जिला पंचायत सदस्य बने। इसके बाद वह बसपा के समर्थन से जिला पंचायत अध्यक्ष बने। एक मामले में उन्हें महीनों जेल की हवा भी खानी पड़ी। जेल से निकलते ही उन्होंने बसपा से नाता तोड़ लिया और डह स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा में शामिल हो गये तो वह भी बीजेपी में शामिल हो गये और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक चुने गये।
कादीपुर विधानसभा सीट
कादीपुर सुरक्षित सीट से विधायक राजेश कुमार गौतम भी कांग्रेसी पृष्ठभूमि से हैं। उनके पिता जयराज गौतम प्रदेश की एनडी तिवारी सरकार में राज्य मंत्री रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कादीपुर से चुनाव लड़े और जीत हासिल की।
कादीपुर सुरक्षित सीट से विधायक राजेश कुमार गौतम भी कांग्रेसी पृष्ठभूमि से हैं। उनके पिता जयराज गौतम प्रदेश की एनडी तिवारी सरकार में राज्य मंत्री रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कादीपुर से चुनाव लड़े और जीत हासिल की।
लम्भुआ विधानसभा सीट
लम्भुआ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हुए देवमणि द्विवेदी रेलवे नई दिल्ली में क्लास वन अफसर थे। चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीआरएस ले लिया और भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए।
लम्भुआ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हुए देवमणि द्विवेदी रेलवे नई दिल्ली में क्लास वन अफसर थे। चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीआरएस ले लिया और भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए।