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पल भर में हो 17 साल पुराने मामले का हो गया वारा-न्यारा, न तुम जीते न मैं हारा

locationसुल्तानपुरPublished: Oct 16, 2019 07:24:20 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

जज प्रशांत मिश्र ने भी मुस्कराते हुए मुकदमा समाप्त करने का आदेश दिया तो दोनों आपस में गले लगकर खुशी का इज़हार किया

पल भर में हो 17 साल पुराने मामले का हो गया वारा-न्यारा, न तुम जीते न मैं हारा

पल भर में हो 17 साल पुराने मामले का हो गया वारा-न्यारा, न तुम जीते न मैं हारा

सुलतानपुर. कहा जाता है कि किसी भी मुकदमे का परिणाम किसी के पक्ष में आता है तो किसी के खिलाफ, लेकिन मुकदमे में जब दोनों पक्ष सुलह-समझौता से मामले का निपटारा करते हैं तो न कोई पक्ष जीतता है और न कोई पक्ष हारता है। ऐसे ही 17 सालों से न्यायालय में चल रहे एक मुकदमे में दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से ‘न तुम जीते -न मैं हारा’ की तर्ज पर सुलह -समझौता कर एक दूसरे के गले लगकर घर चले गए।
दो पक्षों के बीच अहं एवं जिद के कारण 17 सालों से न्यायालय में चल रहे मुकदमें में अचानक हुए सुलह -समझौता ने बहुतों को सबक लेने वाला तथा सीख देने वाला है। खासकर उनके लिए जो किसी दूसरे को फर्जी फंसाने के लिए मुकदमा दायर कर कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाते हैं और अंत में हासिल कुछ नहीं होता ।
मामला वर्ष 2003 का है, जहां कोतवाली नगर के पांचोपीरन में पशु बाजार लगाने को लेकर अधिवक्ता अब्दुल रहमान खान तथा दीवानी न्यायालय के वरिष्ठ लिपिक इरफान गनी खान, उनके बेटे पूर्व सांसद मोहम्मद ताहिर खान और करीब दर्जन भर अन्य लोगों के ऊपर पशु बाजार में लूटपाट का केस दर्ज हुआ था। दोनों पक्षों में अहंकार की लड़ाई चलती रही और एक दूसरे से निपट लेने की धमकियां दी जाती रही और न्यायालय से तारीख दर तारीख मिलती रही। इस अहंकार की लड़ाई में जिंदगी के 17 साल बीत गए लेकिन, नतीजा कुछ नहीं निकला।
दोनों में सुलह देख जज मुस्कराए
आपसी दुश्मनी और मुकदमेबाजी के 17 साल गुजर जाने के बाद बुद्धजीवियों के बीच सुलह की पहल का ख़्याल आया कि इस मुकदमेबाजी से कुछ हासिल नहीं होगा तो अचानक दोनों ने अपर जिला जज प्रथम प्रशांत मिश्र के सामने पेश होकर सुलह समझौते की पेशकश की। जज प्रशांत मिश्र ने भी मुस्कराते हुए मुकदमा समाप्त करने का आदेश दिया तो दोनों आपस में गले लगकर खुशी का इज़हार किया।
अधिवक्ता आरपी सिंह ने बताया कि दोनों पक्षों ने बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से अपने-अपने अहंकार को त्यागकर भरी अदालत में सुलह समझौता कर हंसी खुशी से घर चले गए । एडीजे प्रथम प्रशांत मिश्र ने समझौते को स्वीकार कर अपना फैसला सुनाया।
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