रोशनी तिवारी ने कहा कि नेक और पुनीत कार्यो के लिए बेटी-बेटों में फर्क कैसा? यह कार्य तो हमारी संस्कृति के सर्वोत्तम कार्यों में गिना जाता है। यह गलत धारणा है कि किसी का अंतिम संस्कार पुरुषों द्वारा ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नेक कार्य, पुनीत कार्य और सामाजिक कार्य चाहे बेटा हो या बेटी सबको करना चाहिए। एक लावारिस लाश का अंतिम संस्कार एक पुण्य का काम था। इसे मैंने मृतक के बेटे की तरह किया है।
ये न सोचें कौन क्या कहता है
उन्होंने कहा कि लोगों के अच्छे विचारों व कार्यों से हमारी संस्कृति का विकास होता है और हमारी संस्कृति मजबूत होती है। लड़कियों को चाहिए कि वे आगे आयें। इसकी चिंता नहीं करें कि कौन क्या कहता है। उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। इस कार्य को सबको आगे आकर करना चाहिए। ऐसे कार्यों को करने से लड़के या लड़कियों में सामाजिक असमानता की मानसिकता बदलती है।
उन्होंने कहा कि लोगों के अच्छे विचारों व कार्यों से हमारी संस्कृति का विकास होता है और हमारी संस्कृति मजबूत होती है। लड़कियों को चाहिए कि वे आगे आयें। इसकी चिंता नहीं करें कि कौन क्या कहता है। उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। इस कार्य को सबको आगे आकर करना चाहिए। ऐसे कार्यों को करने से लड़के या लड़कियों में सामाजिक असमानता की मानसिकता बदलती है।
रोशनी बोलीं- अच्छा काम करने वालों को सम्मानित किया जाये
रोशनी ने कहा कि फाउंडेशन की स्थापना तो इसीलिए की गई है कि हम सब सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में बच्चों को स्वच्छता अभियान से जोडें। उल्लेखनीय योगदान करने वाले सफाईकर्मियों को भी सममानित करें। गौरक्षा जैसे सामाजिक व पुनीत कार्यों में अपनी सहभागिता हमेशा देते रहें। आपको बता दें कि रोशनी तिवारी पंख फाउंडेशन नाम की एक सामाजिक संस्था से जुड़ी हैं और वह इसकी मुखिया हैं।
रोशनी ने कहा कि फाउंडेशन की स्थापना तो इसीलिए की गई है कि हम सब सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में बच्चों को स्वच्छता अभियान से जोडें। उल्लेखनीय योगदान करने वाले सफाईकर्मियों को भी सममानित करें। गौरक्षा जैसे सामाजिक व पुनीत कार्यों में अपनी सहभागिता हमेशा देते रहें। आपको बता दें कि रोशनी तिवारी पंख फाउंडेशन नाम की एक सामाजिक संस्था से जुड़ी हैं और वह इसकी मुखिया हैं।