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Exclusive : आईसीयू में अस्पताल! जरूरी दवाओं का टोटा, इमरजेंसी सेवायें बदहाल

locationसुल्तानपुरPublished: Sep 24, 2018 07:05:59 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

मरीजों के आरोप, बाहर से खरीदनी पड़ती हैं अस्पताल में मौजूद दवायें, CMS बोले- होगी कार्रवाई

sultanpur district hospital

Exclusive : आईसीयू में अस्पताल! जरूरी दवाओं का टोटा, इमरजेंसी सेवायें बदहाल

राम सुमिरन मिश्र
सुलतानपुर. यूपी में रहस्यमयी बुखार का प्रकोप है। अब तक 500 से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके हैं। सरकार अस्पतालों में मरीजों के उचित देखभाल का दावा कर रही है, लेकिन सुलतानपुर जिला अस्पताल में इमरजेंसी सेवायें बदहाल हैं। पूरा अस्पताल खुद ही आइसीयू में नजर आ रहा है। जिला वायरल फीवर की चपेट में है, लेकिन अस्पताल की आपातकालीन सेवा में पैरासिटामोल इंजेक्शन की उपलब्धता तक नहीं है। इतना ही नहीं अस्पताल में मौजूद दवाइयां भी मरीजों को बाहर से ही खरीदनी पड़ रही हैं।
कमीशन के चक्कर में निजी मेडिकल स्टोर्स पर 240 रुपये में मिलने वाला इंजेक्शन तकरीबन हर मरीज को लिखा जा रहा है, जबकि यह एंटीबायोटिक इंजेक्शन जिला अस्पताल की फार्मेसी में मुफ्त व भारतीय जन औषधि केंद्र पर मात्र 23 रुपये में उपलब्ध है। अस्पताल प्रशासन अनजान बना हुआ है। मरीज व उनके तीमारदार परेशान हैं। जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ बीबी सिंह ने कहा कि बाहर से दवाएं लिखने और इलाज में लापरवाही बरतने वाले चिकित्साकर्मियों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही जरूरी दवाओं व इंजेक्शन की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराई जाएगी।
बोले मरीज, कोई पूछने वाला नहीं
दूबेपुर ब्लॉक क्षेत्र के नोनरा गांव निवासी राधेश्याम (63) ने बताया कि एक हफ्ते से उनको बुखार आ रहा है। खून की जांच में टायफाइड की पुष्टि होने पर गत शुक्रवार को उन्हें भर्ती किया गया था। तीन दिन बीत गए आराम नहीं हो रहा है। करीब पांच सौ रुपये का इंजेक्शन वे बाहर से खरीद चुके हैं। अमेठी जिले के उलरा चंदौकी (शाहगढ़) निवासी रामशरण शनिवार को सड़क हादसे में जख्मी हो गए थे। उनके जीजा हंसराज का कहना है कि भर्ती करने के बाद कोई डाक्टर देखने तक नहीं आया। अस्पताल में आते ही एक इंजेक्शन बाहर से लिख दिया गया, जो 240 रुपये में मिला। शुक्रवार शाम से इमरजेंसी वार्ड में भर्ती दोस्तपुर ब्लाक के खोजापुर गांव निवासी उच्च रक्तचाप की समस्या से पीड़ित राम प्रसाद सिंह की बहू रीना व बेटी उर्मिला कहती हैं कि यहां पर कोई पूछने वाला नहीं है, भले ही मरीज तड़प-तड़प कर मर जाए। तीन दिनों में सिर्फ एक बार चिकित्सक चेकअप करने आए। समुचित इलाज न मिलने से मरीज की हालत जस की तस बनी है।
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