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जमीन पाकर किसानों की खुशी का नहीं रहा ठिकाना, मनाया जश्न, राहुल, CM का जताया आभार

locationसुकमाPublished: Feb 16, 2019 03:59:34 pm

सैकडों किसान अपनी जमीन फिर से पाकर बेहद उत्साहित है और इसके लिए सांसद राहुल गांधी तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार जताया।

Rahul gandhi

जमीन पाकर किसानों की खुशी का नहीं रहा ठिकाना, मनाया जश्न, राहुल, सीएम का जताया आभार

जगदलपुर. बस्तर जिले के लोहण्डीगुड़ा के हजारों किसानों की इस्पात संयंत्र के लिए अधिग्रहित की गई जमीन को नई सरकार ने लौटा कर उनके जीवन में फिर से मुस्कान भर दी है। धुरागांव के चमरू, घनश्याम सिंह ठाकुर, अनंतराम कश्यप बडांजी के हेम कुमार भगत और बलीराम, ग्राम टाकरागुडा के बुधराम कश्यप और हिड़मो राम मण्डावी, दाबपाल आशमन मौर्य जैसे सैकडों किसान अपनी जमीन फिर से पाकर बेहद उत्साहित है और इसके लिए सांसद राहुल गांधी तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार जताया।
यह भी उल्लेखनीय है कि बस्तर जिले के तहसील लोहण्डीगुड़ा क्षेत्र में टाटा इस्पात संयंत्र के लिए सन 2008 में 10 ग्रामों बड़ांजी, बड़ेपरोदा, बेलर, बेलियापाल, छिन्दगांव, दाबपाल, धुरागांव, कुम्हली, टाकरागुड़ा व सिरसगुड़ा तथा तहसील तोकापाल के अंतर्गत टाकरागुड़ा के 1700 से अधिक किसानों की 1764 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई थी। किन्तु वर्ष 2016 में कंपनी द्वारा राज्य सरकार को पत्र लिखकर उद्योग लगाने में अपनी असर्मथता जताई। नई सरकार ने केवल 10 दिनों के भीतर केबिनेट की बैठक पर फैसला लिया कि किसानों को उनकी अधिग्रहित जमीन लौटाई जाएगी। यह भी उल्लेखनीय है कि किसानों को उनकी जमीन वापस की जा रही है और उनसे मुआवजा की राशि भी वापस नहीं ली जा रही है।
बडांजी के बलीराम की तीन फसली उर्वर निजी जमीन अधिग्रहण में चली गई थी। उनका कहना है कि जमीन वापस मिलने से उन्हें अब खेती के लिए ऋण, खाद बीज मिलने लगेगा और वे सोसाइटी के माध्यम से समर्थन मूल्य पर उत्पादित धान को बेच सकेगें। टाकरागुड़ा ग्राम के बुधराम कश्यप ने बताया कि जमीन अधिग्रहण के बाद बेटियों की पढ़ाई में कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। अधिग्रहण के बाद शासकीय राजस्व दस्तावेज में नाम नहीें होने से वंशावली से संबंधित रिकार्ड नहीं मिल पा रहे थे जिसके कारण उनके बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बनवाने में कठिनाई आ रही थी। अब आसानी से बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बन सकेंगे। ये किसानों अब जमीन पर खेती बाड़ी कर रहे हैं।
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