इसकी भनक आयुक्त को भी नहीं लगने दी। करीब ६८० ट्री गार्डों के एकाएक गायब होने की सूचना आयुक्त को मिली तो उन्होंने इस संबंध में अपने अधीनस्थ अधिकारियों से जवाब मांगा है लेकिन आयुक्त को यह बताया गया है कि यह अधिकार तो सभापति ने खुद अपने पास ले रखा है।
सभापति के खिलाफत वाले पार्षदों ने आयुक्त से इस पूरे प्रकरण की जांच करने की मांग की है। इन पार्षदों की यह शिकायत थी कि अलग-अलग ठेकेदारों से ट्री गार्ड मंगवाए गए लेकिन इनको गोदाम में रखने के बजाय उचंती ही बांट दिए गए। आयुक्त सुनीता चौधरी का यहां तक कहना है कि सभापति अपनी मनमर्जी कर रहे हैं, यह नियमानुसार सही नहीं है। इस संबंध में उन्होंने जेइएन सिद्धार्थ जांदू से रिपोर्ट मांगी है।
निर्माण शाखा का रिमोट चेयरमैन के हाथ में ट्री गार्ड की खरीद किस मद से और कैसे हुई है। इन ट्री गार्ड की उपयोगिता के लिए किन-किन मार्गो पर स्थापित किया जाना था, इस सवालों से खफा आयुक्त बोली कि नगर परिषद के जेइएन और एइएन सभापति की बात सुनते हैं, उनके आदेश की पालना तक नहीं करते। यह भी नहीं बताते कि ट्री गार्ड कहां है और किन-किन को वितरित किए गए हैं इस संबंध में डीएलबी को शिकायत की जा रही है।
सभापति का इनकार, आयुक्त को पता है सब इधर, सभापति अजय चांडक का कहना है कि आयुक्त को हर खरीद और वितरण के बारे में पता है। हर खरीद और वितरण के प्रति उनकी जवाबदेही भी है। सभापति के अनुसार आयुक्त जानबूझकर एेसी बात कर रही हैं।