भाजपा और कांग्रेस की टिकट के लिए इस बार जितने दावेदार हैं, उतने पहले कभी नहीं हुए। इस जिले में आमतौर पर यही देखने में आया है कि टिकट के लिए दो-तीन दावेदार होते हैं और उनमें से मजबूत दावेदार का नाम पहले से ही चर्चा में आ जाता है और फिर पार्टी का निर्णय भी उसी के पक्ष में होता रहा है। इस बार स्थिति होचपोच वाली है। टिकट को लेकर कोई भी दावेदार आश्वस्त नहीं है क्योंकि दोनों पार्टियों के लिए राजस्थान का रण प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है और एक-एक टिकट का बंटवारा सोच समझ कर किया जाएगा। कमोबेश यही स्थिति मतदाताओं की है। टिकट की घोषणा से पहले ही अपने विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों के नाम बता देने वाले मतदाता इस बार कयास भी नहीं लगा पा रहे।
खेमों में बंटे दावेदार चुनाव की घोषणा से पहले प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की टिकट तय करने वाली समितियों की घोषणा भी हो चुकी है। दावेदार अब उन समितियों में शामिल अपने खेवनहारों के हिसाब से खेमों में बंटने लगे हैं। मसलन कांग्रेस की टिकट के दावेदार अशोक गहलोत और सचिन पायलट में से किसी एक का दामन थाम रहे हैं, वहीं भाजपा की टिकट की चाह रखने वाले चुनाव में केन्द्रीय नेतृत्व की रणनीति को भांप खेमा चुनने के साथ-साथ संघ की शरण ले चुके हैं।
राहुल के दौरे के बाद———————— चुनाव की घोषणा होते ही भाजपा की टिकट के दावेदारों ने जयपुर और दिल्ली कूच की तैयारी शुरू कर दी है। शनिवार को चुनाव आयोग ने जैसे ही चुनाव की तिथि घोषित की तो भाजपा की टिकट के कई दावेदार जयपुर कूच कर गए। कांग्रेस की टिकट के दावेदार अभी राहुल गांधी के 10 अक्टूबर को प्रस्तावित बीकानेर दौरे को लेकर रुके हुए हैं। यह दौरा होते ही दावेदार जयपुर कूच करेंगे। जयपुर में दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों की सूची बनने के बाद दावेदारों का अगला पड़ाव दिल्ली होगा।