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श्री गंगानगर

करुणा के समुद्र होते हैं संत, सहज कृपा करना उनका स्वभाव

श्रीसुंदरकांड पाठ के बाद हुआ भंडारा, शिव कुटिया में बही श्रद्धा की गंगा दार कजोड़मल मीणा ने बताया कि स्वामी परमानंद दुधाधारीजी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर पुष्पाजंलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

श्री गंगानगरApr 25, 2024 / 12:37 am

Ajay bhahdur

करुणा के समुद्र होते हैं संत, सहज कृपा करना उनका स्वभाव

श्रीकरणपुर. शिवालय कुटिया में भजन-कीर्तन करते महिला श्रद्धालु।

श्रीकरणपुर. संत करुणा के समुद्र होते हैं और उनका स्वभाव ही सहज कृपा करना है। यह बात बुधवार को कस्बे के बाहर श्रीगंगानगर मार्ग पर स्थित शिव कुटिया (श्री सन्यास आश्रम) में हुए आयोजन के दौरान गद्दीनशीन महंत लोकेशानंद गिरी जी महाराज ने कही।
महंत ने कहा कि जिस प्रकार वृक्ष आंधी, बरसात व अन्य विषम परिस्थितियां सहकर भी अपना फल दूसरों को देते हैं। उसी प्रकार सच्चा संत भी हमेशा लोक कल्याण व परोपकार की भावना रखता है और और मानव को प्रेम व भक्ति का मार्ग दिखाता है। यही कारण है की संत की तुलना भगवान से की गई है। सेवादार कजोड़मल मीणा ने बताया कि स्वामी परमानंद दुधाधारीजी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर पुष्पाजंलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

श्रद्धालुओं ने शिरकत की

कार्यक्रम में कस्बे व आसपास क्षेत्र के काफी श्रद्धालुओं ने शिरकत की। इस अवसर पर कुटिया के गद्दीनशीन महंत के सानिध्य में पूजा-अर्चना के साथ भंडारा भी लगाया गया। महिला श्रद्धालुओं पूनम शर्मा, नीलम ङ्क्षसगला व ज्योति आदि ने भजन-कीर्तन किया। इससे पहले श्रीसुंदरकांड पाठ व हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। सेवादार राजेश गोल्याण, पालिका उपाध्यक्ष अशोक गरुड़ा, सीताराम गुप्ता, कृष्ण फौजी, सीताराम कुमावत, पवन शर्मा, राकेश ङ्क्षसगला, धर्मपाल सोनी व लक्ष्मीनारायण सोनी आदि ने व्यवस्था में सहयोग किया।

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