गैंगस्टरों का नेटवर्क तोडऩे के लिए प्रदेश की 9 सैंट्रल जेलों में लगाए करोड़ों की लागत के जैमर हुए फेल
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श्री गंगानगर•May 26, 2019 / 11:43 pm•
Raj Singh
गैंगस्टरों का नेटवर्क तोडऩे के लिए प्रदेश की 9 सैंट्रल जेलों में लगाए करोड़ों की लागत के जैमर हुए फेल
जेलों में बंदियों के पास पहुंचने लगे मोबाइल व सिम
श्रीगंगानगर. प्रदेश की 9 सैंट्रल जेलों में अपराधियों व गैंगस्टरों का बाहरी नेटवर्क तोडऩे के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर लगाए गए जैमर अब फेल हो चुके हैं। इसके चलते बंदियों तक मोबाइल व सिम पहुंचना शुरू हो गए। इसको लेकर जेल विभाग को इसको रोकने के लिए अधिक प्रयास करने पड़ रहे हैं।
जेलों में बंद हार्डकौर अपराधियों व गैंगस्टरों की ओर से जेल में बैठकर मोबाइल के जरिए अपने गैंग संचालित करना और वसूली, अपहरण आदि की वारदात कराने के मामले सामने आने के बाद जेल विभाग की ओर से इसकी रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए गए थे। इसके लिए करीब तीन-चार साल पहले प्रदेश के सभी सैंट्रल जेल में जेल विभाग की ओर से 9 जैमर लगाए गए थे। इन पर करोड़ों रुपए का खर्चा आया था। करीब एक-डेढ़ साल में धीरे-धीरे करके इन जैमरों का असर कम होता गया और आखिर सभी जेलों में लगे जैमर ठप पड़ गए। असर कम होते ही जेल अधिकारियों ने इसकी जानकारी मुख्यालय को दी लेकिन मरम्मत नहीं हो पाने के कारण कई जेलों में इनकी बिजली सप्लाई तक बंद कर दी गई। इसके बाद से ही बंदियों के पास जेल में मोबाइल व सिम पहुंचना शुरू हो गया। तलाशी अभियानों में जेल में अंदिर मोबाइल व सिम मिलना शुरू हो गया है।
नेटवर्क जाम करते-करते खुद जाम हो गए जैमर
– जेल अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश की 9 जेलों में जब जैमर लगाए गए तो मोबाइल नेटवर्र्किंग टू व थ्री जी पर चल रही थी। टावर भी जेल के आसपास कम थे। धीरे-धीरे जेलों के आसपास मोबाइल टावरों की संख्या बढ़ती गई और टेक्नोलॉजी में भी तेजी से बदलाव आया। मोबाइल अब टू व थ्री जी के बजाय फोर जी हो गया। जल्द ही फाइव जी भी होने जा रहा है। इसी के चलते जैमरों का असर कम हो गया। जैमर टू व थ्री जी नेटवर्क तक ही जाम कर सकते थे लेकिन फोर जी को जाम नहीं कर पा रहे हैं।
जेलों में बढ़ानी होगी जैमरों की पावर
– जेल अधिकारियों का कहना है कि देश में जैमर लगाने वाली दो ही कंपनियां है। एक कंपनी से जेल विभाग ने यह जैमर लगवाए थे। जिनका असर खत्म होने पर कंपनी से संपर्क किया गया। कंपनी वालों का कहना है कि जेलों में लगे जैमरों की पावर डबल करनी होगी। इसके लिए नए जैमर खरीदने होंगे। जबकि अधिकारियों का मत है कि पहले कंपनी दो जेलों के जैमर एक जगह लगाकर नेटवर्क जाम करे। जिससे उसका असर पता किया जा सके। यदि सब कुछ सही रहा तो विभाग कंपनी से जैमर खरीदेगा।
श्रीगंगानगर सैंट्रल जेल का भी जैमर बंद
– श्रीगंगानगर सैंट्रल जेल में लगा जैमर पिछले करीब सवा साल से बंद पड़ा हुआ है। असर कम होने पर इसकी बिजली सप्लाई बंद कर दी गई थी। इसके बाद से ही जेल में बंदियों के पास मोबाइल व सिम मिलने के मामले सामने आने लगे। हॉल ही में जेल अधीक्षक की ओर से तलाशी अभियान में जेल में एक बंदी के पास मोबाइल व सिम मिला है। जिसकी रिपोर्ट कोतवाली में दर्ज कराई गई है।
प्रदेश में ये हैं 9 सैंट्रल जेल
– प्रदेश में बीकानेर, भरतपुर, जयपुर, कोटा, अजमेर, जोधपुर, श्रीगंगानगर, उदयपुर व अलवर में सैंट्रल जेल हैं, जहां जेल विभाग की ओर से अवांछित गतिविधियां रोकने के लिए जैमर लगाए गए थे।
जेलों में तलाशी अभियान में तेजी
– जेल अधिकारियों का कहना है कि जैमर का असर खत्म होने के बाद सभी जेलों में अधिकारियों व कर्मचारियों को तलाशी अभियान चलाने व बंदियों के आने-जाने के दौरान उनकी तलाशी लेने, सामान की तलाशी आदि करने तथा सतर्कता बरने के निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान प्रदेश में मोबाइल जब्त भी किए गए।
इनका कहना है
– प्रदेश की 9 सैंट्रल जेल में जैमर लगाए गए थे लेकिन नेटवर्र्किंग की टेक्नोलॉजी में आए बदलाव के कारण जैमरों का असर कम होता गया। पहले टूजी इंटरनेट था लेकिन अब फोरजी व फाइव जी इंटरनेट आ रहा है। जैमरों की पावर बढ़ाने को लेकर कंपनी से बात चल रही है। जेलों में तलाश अभियान बढ़ाए गए हैं।
रूपिंद्र सिंह, कार्यवाहक एडीजी जेल जयपुर।