एेसी स्थिति में नवजात व प्रसूता को संक्रमण की आशंका बनी रहती है। गायनिक वार्ड में जब महिला जब भर्ती होती है तो उसेबैड नहीं मिलता। इस कारण वह कभी गैलरी तो,कभी परिसर और कभी बाहर घूमती है। एक बैड पर दो-दो गर्भवती लेटना आम बात है। गर्भवती एक तरफ तो प्रसव पीड़ा से जूझती है तो दूसरी तरफ अव्यवस्थाएं उसकी परेशानी बढ़ा देती है। चिकित्सालय में एमएसीएचयू में भवन निर्माण का कार्य चल रहा है। इससे भी साफ-सफाई बिगड़ी हुई है।
पर्याप्त जगह नहीं, रोगी बेहाल
पीएनसी वार्ड में पर्याप्त रूम नहीं है। इससे गर्भवती महिला व प्रसूता व नवजात परेशान है। नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि बैड पड़े हैं लेकिन पर्याप्त जगह नहीं है। इस कारण प्रसूता व गर्भवती को परेशानी होती है। पीएनसी वार्ड की छत का निर्माण होना है। इसका वर्क ऑर्डर जारी को चुका है।
संवेदनशील वार्ड
चिकित्सालय का सबसे ज्यादा संवेदनशील पोस्टऑपरेटिव वार्ड है। गर्भवती के ऑपरेशन से प्रसव बाद सात दिन तक इस वार्ड में रखा जाता है। पिछले कुछ माह से सिजेरियन प्रसव बहुत अधिक हो रहे हैं। इस वार्ड में तीन रूम है और २८ बैड। तीन बैड अतिरिक्त लगाए हैं।
इनका कहना है
गायनिक वार्ड में रोगी अधिक है और बैड पर्याप्त नहीं है। प्रतिदिन पांच-छह सिजेरियन प्रसव हो रहे हैं। सिजेरियन प्रसव के बाद रोगी को सात दिन तक रखना होता है। इस कारण रोगियों की संख्या अधिक होने पर दिक्कत आ रही है।
-डॉ.प्रेम बजाज, उप नियंत्रक, जिला चिकित्सालय,श्रीगंगानगर।