आदेश मिलने के बाद 4 पैरा बटालियन ने 28 दिसम्बर की सुबह चार बजे पाक सैनिकों पर हमला बोला।मात्र दो घंटे की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना को फिर पराजय का मुंह देखना पड़ा और उसके सैनिक भाग खड़े हुए। भारतीय सेना के आक्रमण को विफल करने के लिए पाकिस्तानी सेना ने तोप से 72 गोले बरसाए जिससे 4 पैरा बटालियन के 4 अधिकारी व 21 जवान शहीद हो गए। युद्ध में शहीद रणबांकुरों की स्मृति में उसी जगह पर एक स्मारक बनाया गया। भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज पांच सौ फीट दूर यह स्मारक आज भी उन वीरों की याद दिलाता है। यह लड़ाई भारतीय सेना के इतिहास में ‘सैंड ड्यून’ के नाम से दर्ज है।
नग्गी के ग्रामीण 1971 की तरह सेना की मदद को तैयार हैं। बुजुर्ग ग्रामीणों योगराज मेघवाल व अर्जुन राम ने आतंकी हमले की निंदा करते हुए कड़े कदम उठाकर की बात कही। उन्होंने 1971 के युद्ध का जिक्र करते हुए बताया कि उस समय पाक ने गांव नग्गी में कई बम गिराए गए लेकिन वे गांव छोड़कर नहीं भागे और सेना का सहयोग किया। यही वजह थी कि कुछ ही देर में दुश्मनों को घर का रास्ता दिखा दिया गया। वार्ड पंच शिवभगवान मेघवाल, राजकुमार शर्मा, रामप्रताप मेघवाल, सतपाल डूडी, भानीराम ने कहा कि पाक को करारा जवाब देने के लिए वे आज भी सेना का हरसंभव सहयोग करने को तैयार हैं।