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मानसून देरी ने बढ़ाई अन्नदाता की परेशानी

locationश्री गंगानगरPublished: Jun 15, 2019 07:42:33 pm

Submitted by:

Ajay bhahdur

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मानसून देरी ने बढ़ाई अन्नदाता की परेशानी

श्रीगंगानगर/मोरजंडखारी. मानसून की बेरुखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। जहां एक तरफ सूर्यदेव आग उगल रहे हैं वहीं भयंकर गर्मी के इस सीजन में फसलों को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता है लेकिन नहरी पानी सिमित मात्रा में मिलने से भूमिपुत्रों की समस्याओं में इजाफा हुआ है। पिछले दो सप्ताह से लगातार तापमान 45 डिग्री से ऊपर रहा है। इस कारण खरीफ फसलें पानी की कमी से सूख रही हैं। गौरतलब है कि बीते साल मानसून जून के अंतिम सप्ताह में उत्तरी भारत में सक्रिय हुआ था। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पन्द्रह जुलाई के आसपास मानसून की दस्तक से उत्तर भारत में बारिश होने की सम्भावना जताई जा रही है। किसानों ने बताया कि मानसून के देरी से नरमे की फसल में सिंचाई में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही ग्वार, मूंग व उड़द की फसलों की बुवाई का समय भी निकल रहा है।
महंगे बीज ने बिगाड़ा किसानों का गणित
किसानों का कहना है कि इस बार बुवाई के समय हुई बारिश से नरमा फसल के कुरंड होने से दो से तीन बार महंगा बीज बोना पड़ा है। इससे तीन से चार हजार रुपए का अतिरिक्त भार किसानों पर पड़ा है। अब बारिश न होने के कारण इलाके में नरमे की फसल को भारी नुकसान हो रहा है। मोरजंड खारी के किसान जगसीर सिंह ने बताया कि बारिश न होने से बोई गई फसलें बर्बाद हो रही है। हरा-चारा भी अभी तक पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाया है। आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो हरे-चारे की किल्लत का सामना भी करना पड़ सकता है। चक केरा के किसान विजय सिंह ने बताया कि सीमित मात्रा में नहरी पानी मिलने से सारी फसल की एक साथ सिंचाई किया जाना सम्भव नहीं है। पानी कमी के चलते ग्वार व मूंग की बुवाई कैसे की जाए ये भी बड़ी समस्या है। सुंदरपुरा के किसान भूपराज ने बताया कि बरसात न होने से नरमे की फसल को ज्यादा नुकसान हो रहा है। महंगे बीज की वजह से किसान पहले ही अतिरिक्त खर्च वहन कर रहा है
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