ठेकेदार के कारिंदों ने सडक़ किनारे मिट्टी भराई की बजाय वहां मलबे की ट्रॉलियां डलवा दी ताकि करीब ढाई से तीन फीट की भराई हो जाएं। मिट्टी से भरी एक ट्रॉली की कीमत पांच सौ से छह सौ रुपए के प्रति ट्रॉली के रेट है जबकि मलबा पचास से साठ रुपए प्रति ट्रॉली आसानी से मिल जाता है। ऐसे में सुखाडिय़ा सर्किल से मीरा चौक तक और इस चौक से चहल चौक सडक़ के दोनों साइडों में मलबे के ढेर लगा दिए गए थे।
तब लोगों ने विरोध भी किया लेकिन ठेकेदार ने यह स्वीकार नहीं किया कि यह मलबे के ढेर उन्होंने ने डलवाए है। वहीं आरएसआरडीसी के अधिकारियों ने भी इस मलबे डालने से इंकार कर दिया है। अब ठेकेदार ने मलबे को समतल कराते हुए कम्पोजट करवाना शुरू कर दिया है ताकि इस पर इंटरलोकिग टाइल्स (Interlocking Tiles) बिछाई जा सके। टाइल्स बिछने के बाद यह भी पता नहीं चल पाएगा कि उसके नीचे मिट्टी से भराई की है या मलबे से। लेकिन बरसात के दौरान टाइल्स का पूरा फर्श धंस सकता है।
नगर परिषद और नगर विकास न्यास के अभियंताओं का कहना है कि बरसाती पानी जैसे जैसे इन टाइल्स के अंदर जाएगा तो टाइल्स का फर्श एकाएक धंसने लगेगा। इस टाइल्स बिछाने के कार्य की गुणवत्ता (
quality ) की जांचने का अधिकार सिर्फ आरएसआरडीसी के पास है। ऐसे में आरएसआरडीसी ने पहले ही ठेकेदार को क्लीन चिट्ट दे रखी है। सुखाडिय़ा मार्ग और मीरा मार्ग दोनों मार्गो पर सीसी रोड निर्माण के लिए राज्य सरकार ने आरएसआरडीसी (राजस्थान स्टेट रोड डवलपमेंट कार्पोरेशन) के माध्यम से करीब साढ़े बारह करोड़ रुपए का बजट जारी किया था।
आरएसआरडीसी ने सूरतगढ़ की ठेका फर्म गुप्ता कंस्ट्रक्शन के माध्यम से इन दोनेां मार्गो पर सीसी रोड निर्माण का ठेका दिया। ठेका फर्म गुप्ता कंस्ट्रक्शन को यह ठेका कार्य 19 सितम्बर 18 से 16 जनवरी 19 तक समय अवधि के लिए निर्धारित किया लेकिन कभी बरसात तो कभी निर्माण सामग्री की आवक निर्माण स्थल पर नहीं आने तो कभी लेबर के अवकाश पर चले जाने आदि विभिन्न कारणों से यह प्रक्रिया अब तक अटकी हुई है। ठेका अवधि समाप्त हुई तो आरएसआरडीसी ने सरकार की अनुमति से इसकी अवधि बढ़ा दी लेकिन ठेकेदार ने अब तक यह काम पूरा नहीं किया है।