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श्री गंगानगर

महंगाई की मार से पशुओं को बचाने के लिए चारे के भंडारण में जुटे पशुपालक

-हर साल चारे के भाव में होती है बेतहाशा वृद्धि
-पंजाब राज्य से ट्रैक्टर-ट्रॉली भरकर तूड़ी लाने की मजबूरी

श्री गंगानगरApr 30, 2024 / 07:11 pm

Ajay bhahdur

महंगाई की मार से पशुओं को बचाने के लिए चारे के भंडारण में जुटे पशुपालक

गजसिंहपुर. पशुओं को चारा डालते हुए पशुपालक।

गोविंद प्रजापत. गजसिंहपुर. पशुओं के निवाले को महंगाई की मार से बचाने के लिए पशु पालक तूड़ी का भंडारण करने में लग गए हैं। गेहूं की फसल कटाई होने के साथ-साथ तूड़ी घरों व खेतों में एकत्रित करने लगे हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण क्षेत्र में बरसात और ओलावृष्टि से फसलों में हुए नुकसान के असर को माना जा रहा है।
पशु पालकों को तूड़ी की कमी की समस्या से जूझना ना पड़े, इसके लिए अभी से जितनी हो सके उससे अधिक मात्रा में भंडारण करने में लग गए हैं। बरसात से गेहूं की फसल में गलन हो गया था, जिसके कारण गेहूं की पैदावार कम होने से तूड़ी की कमी महसूस की जा रही है। इससे तूड़ी के भाव आगामी दिनों में बढऩे के अंदेशा जताया जा रहा है। पश ुपालक पंजाब राज्य से ट्रैक्टर-ट्रॉली भरकर तूड़ी क्षेत्र में लाने में लगे हुए है। घरों तक 300 से 350 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिलने के कारण पशुपालक तूड़ी खरीद रहे हैं।
वहीं, दूसरी तरफ बदलते मौसम ने किसानों की चिंता में डाल रखा है। एक-दो दिन के बाद ही मौसम में काली घटाएं छाने लगती है। जिसके चलते काश्तकारों ने गेहूं की फसल मशीनों से कटानी शुरू कर दी है। गेहूं की फसल कटने के साथ-साथ तूड़ी बनाने का कार्य भी तेजी पर है। सीमावर्ती क्षेत्र में गेहूं की फसल में हुए नुकसान से भी किसान डरे सहमे अपनी फसल व तूड़ी को बचाने में लगे हुए है। उन्होंने बताया कि तूड़ी को निकालते ही घरों या फिर खेतों में ढककर रख रहे है। अगर एक बार तूड़ी तूफान की चपेट में आ गई तो वापस पाना भी मुश्किल हो जाएगा।

बीते साल भी तूड़ी के लिए पड़ा था जूझना

बीते साल भी इलाके में तूड़ी का संकट इस कदर बढ़ गया था कि पशुओं के चारे पर संकट पैदा हो गया था। जो तूड़ी किसानों को आराम से मिल जाती थी वो तूड़ी के रेट आसमान तक पहुंच गए थे। इसके बाद भी लोगों को तूड़ी नहीं मिल रही थी। जिसके चलते पशुपालकों ने अभी से तूड़ी को बचाने के लिए एकत्रित करना शुरू कर दिया है। लेकिन पिछले साल प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया कि खेतों में पड़ी तूड़ी गलकर काली पडऩे लगी थी। पिछले वर्ष भी बरसात के कारण किसानों को चारे की समस्या से जूझना पड़ा था। इसके चलते किसानों के पंजाब से तूड़ी मंगवाना पड़ी थी। पशुपालकों को एक किलो तूड़ी के लिए 6 रुपए तक दाम चुकाने पड़े थे। चारे की ज्यादातर आपूर्ति रबी के सीजन में होने वाले गेहूं की फसल से ही पूरी होती है। ऐसे में पशुपालकों को तूड़ी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इस साल बारिश व ओलावृष्टि से हुए नुकसान के कारण तूड़ी का उत्पादन बेहद कम हुआ है।

क्या बोले पशुपालक

आगामी दिनों में तूडी़ के भाव बढऩे के अंदेशा जताया जा रहा है, जिसके चलते अभी से तूडी़ को एकत्रित किया जा रहा है। अब तूडी़ के भाव 300 से 350 तक आसानी से मिल रहे है। सर्दी में तूडी़ के रेट 400 से 450 तक पहुंच सकते है। जिससे जेब पर काफी भार पड़ेगा।
-भूरा राम लावा, पशुपालक।
पशुओं के लिए तूडी़ का होना बहुत आवश्यक है। अगर समय रहते ही तूडी़ का भंडारण कर लिया जाए तो अच्छा होगा। क्योंकि अगर पशुओं के लिए एक समय भी तूडी़ ना हो तो मुश्किल हो जाती है। इसके लिए तूडी़ एकत्रित की जा रही है।
-कालूराम नैण, बालाराजपुरा, पशुपालक।

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