बीते साल भी तूड़ी के लिए पड़ा था जूझना
बीते साल भी इलाके में तूड़ी का संकट इस कदर बढ़ गया था कि पशुओं के चारे पर संकट पैदा हो गया था। जो तूड़ी किसानों को आराम से मिल जाती थी वो तूड़ी के रेट आसमान तक पहुंच गए थे। इसके बाद भी लोगों को तूड़ी नहीं मिल रही थी। जिसके चलते पशुपालकों ने अभी से तूड़ी को बचाने के लिए एकत्रित करना शुरू कर दिया है। लेकिन पिछले साल प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया कि खेतों में पड़ी तूड़ी गलकर काली पडऩे लगी थी। पिछले वर्ष भी बरसात के कारण किसानों को चारे की समस्या से जूझना पड़ा था। इसके चलते किसानों के पंजाब से तूड़ी मंगवाना पड़ी थी। पशुपालकों को एक किलो तूड़ी के लिए 6 रुपए तक दाम चुकाने पड़े थे। चारे की ज्यादातर आपूर्ति रबी के सीजन में होने वाले गेहूं की फसल से ही पूरी होती है। ऐसे में पशुपालकों को तूड़ी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इस साल बारिश व ओलावृष्टि से हुए नुकसान के कारण तूड़ी का उत्पादन बेहद कम हुआ है।क्या बोले पशुपालक
आगामी दिनों में तूडी़ के भाव बढऩे के अंदेशा जताया जा रहा है, जिसके चलते अभी से तूडी़ को एकत्रित किया जा रहा है। अब तूडी़ के भाव 300 से 350 तक आसानी से मिल रहे है। सर्दी में तूडी़ के रेट 400 से 450 तक पहुंच सकते है। जिससे जेब पर काफी भार पड़ेगा।-भूरा राम लावा, पशुपालक।
पशुओं के लिए तूडी़ का होना बहुत आवश्यक है। अगर समय रहते ही तूडी़ का भंडारण कर लिया जाए तो अच्छा होगा। क्योंकि अगर पशुओं के लिए एक समय भी तूडी़ ना हो तो मुश्किल हो जाती है। इसके लिए तूडी़ एकत्रित की जा रही है।
-कालूराम नैण, बालाराजपुरा, पशुपालक।