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श्री गंगानगर

पक्की हुई नहर हमारी, असर पाक के खेतों पर

श्रीगंगानगर. भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगभग पंद्रह किलोमीटर क्षेत्र में पाकिस्तान का जो इलाका डेढ़ साल पहले सरसब्ज था

श्री गंगानगरAug 11, 2017 / 07:39 am

Mangesh

canal our effect on Pak farms

पक्की हुई नहर हमारी, असर पाक के खेतों पर

श्रीगंगानगर. भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगभग पंद्रह किलोमीटर क्षेत्र में पाकिस्तान का जो इलाका डेढ़ साल पहले सरसब्ज था, वही इलाका अब बंजर होता जा रहा है। वजह है अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तारबंदी के साथ बहने वाली एच नहर का पक्का हो जाना। गंगनहर प्रणाली की यह नहर भारत के विभाजन के समय से ही कच्ची थी। इससे पानी का रिसाव होने अंतरराष्ट्रीय सीमा के उस पार पाकिस्तान के किसानों ने ट्यूबवैल से सिंचाई कर खेती करना शुरू कर दिया। भरपूर पानी मिलने से कुछ ही सालों में पाकिस्तान का यह बारानी इलाका सरसब्ज हो गया और खेतों में वह फसलें लहलहाती हुई दिखाई देने लगी जो सिंचित क्षेत्र में ही होती है। गंगनहर प्रणाली की नहरें जब कच्ची थी तो पानी का रिसाव होता रहता था।
कहीं गड्ढा नहीं बन जाए काल

इससे नहरों के आसपास भूजल स्तर काफी उपर आ गया और खारा पानी भी सिंचाई के लायक हो गया। इसका पता चलने पर भारतीय क्षेत्र में किसान ट्यूबवैल लगाकर सिंचाई करने लगे तो देखादेखी पाकिस्तान के किसानों ने भी ट्यूबवैल लगाकर खेती करना शुरू कर दिया। यह सिलसिला पिछले पांच दशकों से भी अधिक समय से चल रहा था। इससे पूर्व तो बारानी इलाका होने के कारण अच्छी बरसात होने पर ही पाकिस्तान के किसान चना, जौ, तारामीरा और ग्वार आदि फसलों की बिजाई करते थे।
पानी ने बदली तस्वीर

एच नहर के पानी का रिसाव होने से भूजल स्तर तीस-पैंतीस फीट तक आ गया और खारा पानी सिंचाई और पीने लायक हो गया। एच नहर के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के उस पार पाकिस्तान ने कोई नहरी तंत्र विकसित नहीं किया है। सीमावर्ती गांव दौलतपुरा के किसान बलविन्द्र सिंह बताते हैं- हमारी नहर के कारण अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ-साथ ट्यूवैल से सिंचाई शुरू हुई तो पाकिस्तान के खेतों में भी देशी कपास, अमेरिकन कपास, गन्ना, गेहूं और सरसों की खेती होने लगी। हमारी नहर के पानी ने पाकिस्तान के बारानी इलाके की तस्वीर ही बदल दी। अब एच नहर पक्की हो गई है तो पानी का रिसाव बंद हो गया। इससे भूजल स्तर नीचे चला गया है और पानी खारा होने से वह सिंचाई और पीने के लायक नहीं रहा। हालांकि कुछ किसानों ने ट्यूबवैल से सिंचाई के लिए गहरे कुएं खुदवाए हैं। लेकिन इस पर खर्चा ज्यादा होने से ऐसा करने वाले किसानों की संख्या नाममात्र है।
ग्यारह साल इंतजार

गंगनहर प्रणाली की सभी नहरों को पक्का करने की योजना 2004 में मंजूर हुई। उसके बाद मुख्य नहर **** इसकी वितरिकाओं और नहरों को पक्का करने का काम हो गया। लेकिन सुरक्षा कारणों से एच नहर को पक्का करने का काम अटका रहा। वर्ष 2015 में एच नहर को पक्का करने का निर्णय किया गया तो सीमा सुरक्षा बल और पाक रेंजर्स के अधिकारियों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई थी। बताते हैं कि बातों ही बातों में पाक रेंजर्स के अधिकारियों ने तब नहर के तल को पक्का नहीं करने का आग्रह सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों से किया था ताकि पानी रिसता रहे और पाकिस्तान के खेत पहले की तरह सरसब्ज रहें। लेकिन सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों ने इस आग्रह को दरकिनार करते हुए जल संसाधन विभाग को स्वीकृत योजना के अनुसार ही काम करवाने की हरी झण्डी दे दी।
फर्क तो पड़ा है

एच नहर के पक्का होने के बाद पानी की बचत हुई है, जिसका फायदा किसानों को मिलेगा। नहर को पक्का करने के बाद पानी का रिसाव बंद हुआ तो हमारे पानी से लहलहाने वाले खेत अब बंजर होने लगे हैं। यह काम पिछले ग्यारह सालों से अटका पड़ा था जो अब पूरा हुआ है। – डॉ. रामप्रताप, जल संसाधन मंत्री, राजस्थान

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