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चाहते हैं बच्चे आपको सम्मान दें, तो बुजुर्गों का सम्मान करें

locationनई दिल्लीPublished: Sep 22, 2017 06:38:15 pm

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

समाजशात्रियों का कहना है-यदि आप चाहते हैं कि आगे चलकर बच्चे आपका सम्मान करें, तो आपको अपने बुजुर्गों का सम्मान करना होगा…

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* नई दिल्ली- बुजुर्ग माता-पिता को बेटे से जान का खतरा, सुरक्षा के लिए बुजुर्ग दंपती पहुंचे हाईकोर्ट। पिता का कहना है कि बेटा अक्सर उन्हें मारता-पीटता है, जिसके कारण उनका जीवन नर्क बन गया है। याचिका में बुजुर्ग ने कहा कि उन्हें और उनकी पत्नी को सुरक्षा व सम्मान के साथ रहने दिया जाए।
* उत्तर प्रदेश बुजुर्ग मां के सिर पर डंडा मारकर हत्या कर दी।

* वाराणसी- बहू-बेटे की उपेक्षा से तंग आकर बुजुर्ग दंपती ने ट्रेन से कटकर दी जान।

* नई दिल्ली: अकेली रह रही बुजुर्ग महिला की घर में बेरहमी से हत्या
समाज में बुजुर्गों के साथ हो रहे बर्ताव की ये कुछ बानग‍ियां हैं। हालांक‍ि हमारे समाज में बुजुर्गों का हमेशा सम्मानीय स्थान रहा है। एक मार्गदर्शक और पारिवारिक मुखिया होने के नाते जो सम्मान बुजुर्गों को मिलता था, उसमे कमी आ रही है। यहां तक कि उनके अनुभव को अमूल्य पूंजी समझने वाला समाज इनके प्रति बुरा बर्ताव भी करने लगा है। हेल्पेज इंडिया के एक सर्वे में इसी तरह की बातें सामने आई हैं। सर्वे में शामिल बेंगलूरु के 70 फीसदी बुजर्गों ने बताया कि उनको सार्वजनिक स्थान पर बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ता है हालांकि दिल्ली में से तादाद कम रही।
बहुएं भी जिम्मेदार

ज्यादातर मामलों में बुजुर्गों को उनकी बहू सताती है। 39 फीसदी मामलों में बुजुर्गो ने अपनी बदहाली के लिए बहुओं को जिम्मेदार माना है। सर्वे के अनुसार सताने के मामले में बेटे भी ज्यादा पीछे नहीं। 38 फीसदी मामलों में उन्हें दोषी पाया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि छोटे महानगरों में 17 फीसदी बेटियां मां-बाप पर जुल्म ढा रही हैं।
एकल परिवार भी…

जीवन की भागदौड़ में बुजुर्गों की उपेक्षा लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में संयुक्त परिवार व्यवस्था का चरमराना बुजुर्गों के लिए नुकसानदायक साबित हुआ है। सर्वे में शामिल ६४ फीसदी बुजुर्गों का मानना है कि उम्र या सुस्त होने की वजह से लोग उनसे रुखेपन से बात करते हैं। विशेषज्ञ बुजुर्गों के प्रति दुव्र्यवहार के मुख्य कारणों में समय का अभाव और एकल परिवार को मानते हैं। बुजुर्गों की इस भावनात्मक कमी को पूरा करने युवा समय नहीं निकालते।
उपयोगी हैं बुजुर्ग

समाजशास्त्री डॉ. अंकुर पारे के अनुसार बाजारवाद और उदारीकरण के बाद समाज में बुजुर्गों का सम्मान गिरा है। किंतु आपसी सामंजस्य हो तो बुजुर्ग परिवार और समाज के लिए काफी उपयोगी हैं। कुछ अध्ययन भी इस तथ्य की ओर संकेत करते हैं। वैसे इसके लिए कुछ हद तक मां-बाप खुद भी जिम्मेदार हैं। क्योंकि उन्हीं की परवरिश में बच्चा परंपराओं से जुड़ता या दूर होता है।
संपत्ति और विवाद

संपत्ति विवाद के चलते भी बुजुर्गों पर अत्याचार हो रहे हैं। मीडिया में आए दिन बुजुर्गों को अपने ही घर में कैद किए जाने या फिर घर से बेदखल किए जाने की खबरें आती रहती हैं। बुजुर्ग महिलाओं के साथ हो रहे घरेलू हिंसा मामले में ज्यादातर पारिवारिक संपत्ति ही कारण बन रही है।
उठाएं ये कदम

बुजुर्गों के सम्मान के लिए सबसे जरूरी है कि आप उनसे प्यार करें। वैसे उनकी देखभाल कैसी होती है यह काफी हद तक हमारे संस्कारों से तय होता है।

वित्तीय मामलों पर बात करें और परामर्श लें : वित्तीय जरूरतों और बीमा संबंधी मामलों में उनकी राय लें। इस मामले में उनका अनुभव काफी काम आएगा। इससे उनको लगेगा कि आप उनकी अहमियत समझते हैं।
उनके साथ बैठ कर खाएं : घर में हो सके तो उनके साथ ही बैठ कर खाना खाएं, इससे उनको अकेलापन नहीं सालेगा और रिश्तों में मिठास आएगी।

उनके गुस्से और विरोध को सहने की क्षमता रखें: कभी भी असहमति में बोले गए आपके स्वर इतने तल्ख न हों कि उनके दिल को ठेस पहुंच जाए।
उनके अनुभव सुनें…

बुजुर्गों का अनुभव ज्ञान का खजाना होता है। हो सकता है उनके सुनाए गए अनुभवों से आपको अपने जीवन की किसी परेशानी को हल करने का सही जवाब मिल जाए। ऐसा करने से वे अकेलापन भी महसूस नहीं करेंगे और अपनी अहमियत होने से गौरवांवित भी महसूस करेंगे।
बुजुर्गों को सताना भी हिंसा समान

मुंबई के सिविल कोर्ट ने माना है कि किसी बुजुर्ग को तंग करके अपने ही घर में से बाहर निकालने की गतिविधि भी हिंसा ही है। कोर्ट का मानना है कि किसी को भावनाओं के आधार पर ठेस पहुंचाना या किसी को उसके ही घर से बाहर निकालना भावनात्मक गाली है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एक्सपट्र्स का मानना है कि नैतिकता की बेडिय़ों में फंसे ज्यादातर बुजुर्ग अपने ही परिजनों के खिलाफ कार्रवाई से कतराते हैं। यही वजह है कि अपने ही उनका उत्पीडऩ करते रहे हैं। समाजशास्त्री अंकुर पारे कहते हैं, ‘ज्यादातर मामलों में कमाऊ बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को घर से अलग कर देते हैं ऐसे बुजुर्गों की स्थिति फिर भी कुछ बेहतर है। लेकिन घर बेटे-बहू या फिर बेटी-दामाद के साथ रहने वाले बुजुर्गों की हालत ज्यादा दयनीय है। इस सामाजिक समस्या को दूर करने के लिए सरकार के साथ साथ गैरसरकारी संगठनों को भी आगे आना होगा।

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