* पश्चिम बंगाल फेसबुक के लिए भाई ने डांटा तो ग्यारहवीं में पढऩे वाली छात्रा ने दे दी जान * मध्यप्रदेश पुलिस ने पूछा तो छात्रा बोली, मां की डांट से गुस्से में आकर काटी कलाई
* गाजियाबाद मां ने पढ़ाई के लिए डांटा तो किशोर घर छोड़कर चला गया। मिलने पर खुलासा हुआ कि डांट की वजह से उसने ऐसा किया। ये कुछ उदाहरणें हैं, जिनमें थोड़ी सी डांट के बाद बच्चों ने इतना बड़ा कदम उठा लिया, जबकि आज से कुछ साल पहले मां-बाप बच्चों को पीट तक दिया करते थे, किंतु इस तरह की कोई घटना नहीं होती थी। विशेषज्ञों के अनुसार दरअसल बदलते जीवन मूल्यों के ये साइड इफेक्ट हैं। बच्चे तो क्या कोई भी किसी की सुनने को तैयार नहीं है। आखिर बच्चों के साथ कैसा बिहेव करें…
उदास और अकेलेपन का शिकार : एक अनुसंधान में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि बच्चों को डांटना और उन पर चिल्लाना, उन्हें मारने से अधिक खतरनाक है। इस संबंध में विशेषज्ञों ने दो वर्षों तक 950 छात्रों पर अध्ययन किया। परिणाम में उन बच्चों का व्यवहार जिन्हें घर में डांट पड़ती थी, दूसरे बच्चों से भिन्न था। ऐसे बच्चे उदास और अकेलपन का शिकार हो जाते हैं।
क्या पड़ता है असर मस्तिष्क विकास में रुकावट : जब आप अपने बच्चे को डांटते हो तो ना सिर्फ इससे उनके मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है। कोई भी चिल्लाना पसंद नहीं करता है खासकर छोटे बच्चे बस रोना शुरू करेंगे और बड़े बच्चे इस आदत से ऊब जाएंगे। दोनों ही रिएक्शन दिखाते हैं बच्चे आपको सुनने में दिलचस्पी नहीं लेते।
दूरगामी परिणाम : बच्चे को हर समय डांटते रहने से उनका विश्वास टूटने लगता है। एक स्टडी के अनुसार बच्चे इससे डरना भी बंद कर देते हैं। उनमें आत्मविश्वास में कमी, बेचैनी या गुस्सा करने जैसी दीर्घकालिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
दुनिया भर में इस्तेमाल होता है… दरअसल ऊंची आवाज में बात करना या सजा देना भी परवरिश के तरीकों में ही आता है जो दुनिया भर में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अब इस पर सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञयों का कहना है कि इस तरीके पर फिर से विचार करना चाहिए क्योंकि ये आपके बच्चों के विकास में हानिकारक हो सकता है।
क्या है विकल्प- सबसे अच्छा विकल्प है मजाक या ह्युमर। बच्चे ही नहीं बड़े भी गलतियां करते हैं और ये नॉर्मल है। अगर पैरेंट्स थोड़ा सेंस ऑफ ह्युमर के साथ इससे निपटेंगे तो अच्छे नतीजे सामने आएंगे।