पशुओं की टैगिंग करवाकर लें सरकारी योजनाओं का लाभ
मौसम परिवर्तन के साथ पशुओं में संक्रामक बीमारियां होने का खतरा हो जाता है। ऐसे में पशुपालकों को समय रहते सावधानी रखनी जरूरी है। कृषि विज्ञान केंद्र, पोकरण के पशु वैज्ञानिक डॉ. रामनिवास ढाका ने बताया, इन रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण ही सर्वोत्तम उपाय है।
पशुओं की टैगिंग करवाकर लें सरकारी योजनाओं का लाभ
केंद्र सरकार द्वारा देशभर में राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम(एनएडीसीपी) के तहत नि: शुल्क टीकाकरण एवं टैगिंग अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत पशुओं के कान में टैग लगाने के साथ ही एफएमडी, खुरपका, मुंहपका एवं ब्रूसेलोसिस के टीके लगाएं जा रहे हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2024 तक इन संक्रामक बीमारियों पर नियंत्रण पाना और 2030 तक इनको पूरी तरह से समाप्त करना है।
बूस्टर डोज जरूरी
डॉ. ढाका बताते हैं, कई पशुपालक जागरूकता के अभाव में दूसरा बूस्टर डोज नहीं लगवाते, जो सही नहीं है। चार -पांच माह के बछड़े एवं बछडिय़ों के पहला टीका लगवाएं। इसके एक -डेढ़ माह के अंतराल पर दूसरा बूस्टर डोज और फिर हर छह माह में एफएमडी का टीका लगवाने से पशुओं के बीमार होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
नि:शुल्क लगाए जा रहे हैं टैग
पशुओं के कान पर नि: शुल्क टैग लगाने के लिए पशुपालन विभाग की टीम गांव -गांव पहुंच रही है। इस प्रक्रिया में पशुपालक के आधार कार्ड को भारत पशुधन एप्प से लिंक करके 12 डिजिट का टैग नंबर दिया जाता है। साइट पर पशुओं की फोटो भी अपलोड की जाती है। इंसानों की तरह यह टैग पशुओं का आधार कार्ड होता है। इससे पशु का ऑनलाइन रिकॉर्ड सरकार के पास होने से उसके प्रजनन, आहार एवं रोग इत्यादि पर निगरानी रखने में मदद मिलती है। टीकाकरण, बीमा, ऑनलाइन खरीद -बिक्री, दवा देने, नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान के साथ ही पशु वंशावली में भी टैग उपयोगी होता है। सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ लेने एवं टीकाकरण के लिए भी पशुओं की टैगिंग करवाना आवश्यक है।
– धारा सिंह, पशु चिकित्सा अधिकारी, मुंडवाड़ा
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