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शहर में हर साल गणेश उत्सव के दौरान मोदक और मोतीचूर के लड्डुओं का व्यवसाय 15 से 20 क्ंिवटल रोजाना की बिक्री तक पहुंच जाता है। करीब छोटे-बड़े 50 मिष्ठान की दुकानों से दुकानदार इस व्यवसाय से जुड़े हैं।
हर साल मांग में भी बढ़ोत्तरी हो रही है, लेकिन इसकी तुलना में दाम कुछ ज्यादा ही बढ़ते जा रहे हैं। बीते पांच सालों में मोदक के दाम करीब तीगुना हो गए हैं। वहीं, मोतीचूर के लड्डुओं के दाम भी इस बार 200 रुपए प्रतिकिलो से 350 हो गए हैं।
वैरायटी, घी व सूखा मावा कर रहा महंगा-
दुकानदार श्याम सिंह ने बताया कि हर व्यक्ति अब मोतीचुर व मोदक में भी वैरायटी तलाशता है। पहले सादे लड्डु बनाए जाते थे, जो 120 से 150 रुपए प्रतिकिलो में आ जाते थे, लेकिन अब सूखा मावा के साथ वर्क का उपयोग भी होता है। घी भी पहले 180 से 200 रुपए किलो था, अब480 से 500 रू. किलों हो गया। सबसे ज्यादा असर सूखा मावा महंगा होने के कारण होता है, केसर भी महंगी हो गई है।
350 रुपए किलो मोतीचूर के लड्डु-
शहर में गणेश उत्सव की शुरूआत से पहले ही मोतीचूर के लड्डु 300 से 320-350 रुपए प्रतिकिलो की दर पर बेचे जा रहे हैं। वहीं, मोदक के लिए प्रतिकिलो 280 से 300 रुपए ले रहे हैं। बीते पांच साल से भाव की तुलना करें तो मोतीचुर व मोदक का भाव करीब तीगुना हो गया है।
दुकानदार ने बताया कि कुछ साल पहले घी, बेसन, सूखा मावा सस्ता था, अब महंगा है। पैंकिंग, डिस्पोजल और मेहनत जोड़े तो भाव बढ़ाना ही पड़ते हैं। मोतीचुर के लिए देशी घी ही करीब 480 से 500 रुपए प्रतिकिलो में लेते हैं।