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आपराधिक गतिविधियों से शहर में भय का माहौल

locationहुबलीPublished: Oct 02, 2019 07:48:27 pm

Submitted by:

Zakir Pattankudi

आपराधिक गतिविधियों से शहर में भय का माहौल-समाज और पुलिस को चुनौती दे रहा अपराध जगतहुब्बल्ली

आपराधिक गतिविधियों से शहर में भय का माहौल

आपराधिक गतिविधियों से शहर में भय का माहौल

आपराधिक गतिविधियों का स्वरूप बदला

पिछले एक वर्ष से चाकू घोंपने, हत्या के मामले सामान्य हो गए हैं, राज्य की जनता हैरान हो रही है कि क्या हुब्बल्ली इतनी बुरी हो गई है। जुड़वां शहर में सप्ताह में एकाध चाकूबाजी के मामले दर्ज हो रहे हैं, जिससे जनजीवन पर गहरा असर पड़ रहा है। सप्ताह में हुए दो शूटआउट मामलों ने भी जनता को भयभीत किया। अपराध दर पिछले वर्ष जितना ही है परन्तु आपराधिक गतिविधियों का स्वरूप बदला है जो भय का कारण बना है।

नए मामले बन रहे पुलिस का सिर दर्द

दुपहिया वाहन पार्क करने के दौरान वाहन छूने को लेकर, जुलूस में बताए डीजे गाने को नहीं लगाने पर, पैर खुंदने पर, दुपहिया वाहन को तेज रफ्तार में चलाने को लेकर पूछने पर, प्रेमिका के साथ एकांत क्षणों का वीडियो बना कर ब्लैकमेल करने आदि घटनाओं के साथ मामूली बात पर भी चाकू घोंपने की वारदातों ने भय का माहौल बना दिया है। एक ओर पुलिस आदतन अपराधियों के घरों पर नियमित छापामारी कर रही है तो दूसरी ओर नए मामले दर्ज होते ही ही पुलिस का सिर दर्द बढ़ रहा है।

शराब पीकर मचाते हैं उत्पात

युवाओं, बदमाशों की आक्रामक सोच ने सभ्य लोगों, वरिष्ठ नागरिकों को आतंकित किया है। रात्रि के समय कुछ गलियों में अकेले गुजर नहीं सकने के हालात निर्माण हुए हैं। मनमानी की मानसिकता में स्थित दिनदहाडे शराब पीकर उत्पात मचाने की समाजकंटकों की हरकतें आम है।

अफवाहों की भरमार

इसी बीच अफवाहों का भी बाजार गर्म है। हत्या हुई है, चाकू घोंपा है, युवती का अपहरण हुआ है इस प्रकार सोशल मीडिया पर अफवाएं फैलाई जा रही हैं। इस दिशा में समाज को भी जिम्मेदारी के साथ बर्ताव करना चाहिए।

एक वर्ष में नौ हत्याएं

हुब्बल्ली-धारवाड़ जुड़वां शहर में 2019 में अब तक नौ हत्या के मामले दर्ज हुए हैं। इनमें पांच मामले चाकू-चूरी घोंपने से ही मृत्यु हुई है। व्यक्तिगत कारणों से हत्या होने पर भी नागरिक समाज को गम्भीरता से विचार करने की जरूरत है। आदतन अपराधी मात्र नहीं गलियों में माहौल बनाने की कोशिश करने वाले बदमाशों को मजा चकाने का काम पुलिस को तुरन्त करना चाहिए।

स्वस्थ्य समाज निर्माण में अभिभावकों की भूमिका

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अभिभावकों के ध्यान में नहीं लाते हुए बच्चे अवैध गतिविधियों की ओर, बुरी आदतों का शिकार हो रहे हैं। केवल अंक तालिका नहीं देखकर दैनिक गतिविधियों पर भी अभिभावकों को नजर रखनी चाहिए। माता-पिता अपनी जिम्मेदारी से भागेंगे तो बच्चों का गलत रास्ता अपनाना पक्का है। उनकी रुची, तनाव, मानसिक उलझन, दुविधा के बारे में समय समय पर अभिभावकों को मूल्यांकन करवाना चाहिए। संस्कार की जड़ें मजबूत होने पर पेड़ भी मजबूत होगा। बच्चों के लिए अच्छा माहौल निर्माण करना चाहिए। उनकी दोस्ती की ओर ध्यान देना चाहिए। साहित्य रुची, कानून की जानकारी फैलानी चाहिए। अपराध कर्तूतों से झेलने वाली सजा, खोने वाले अमुल्य भविष्य के बारे में जानकारी देनी चाहिए। अच्छी आदतों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। नैतिकता की कहानियों को बताना चाहिए।

कठिन कार्रवाई की जाएगी

पुलिस आयुक्त का कहना है कि कानून व्यवस्था खराब हुई है, भय का माहौल निर्माण होने से जनता में भय का माहौल पैदा करने की साजिश की जा रही है। अपराध दर पिछले वर्ष जितने ही हैं। मौजूदा चल रहे चाकू घोंपने के सभी मामले व्यक्तिगत तथा मामुली कारण से हुए हैं। अधिकतर मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। नागरिक समाज में भय पैदा करने वाले कोई भी हों कठिन कार्रवाई की जाएगी।

अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी

मानसिक विशेषज्ञों, समाज के प्रमुखों, मूरुसाविरमठ के मठाधीश से मुलाकात की है। समाज के को सही दिशा में लाने की जिम्मेदारी लेने की मांग की है। हर गली में पुलिस तैनात करना सम्भव नहीं है। सभी मामलों का सक्षमता से सामना किया जाएगा। छोटी आयु में हिंसा को उतरना खतरनाक है। बच्चों को शिक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए। आक्रामक सोच को नियंत्रित करना चाहिए। कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए। एक सभ्य नागरिक बनना चाहिए। हद पार किया तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। अगर सही हैं तो हमारे पास आइए। समस्या के लिए सकारात्मक तौर पर प्रतिक्रिया व्यक्त की जाएगी।

पुलिस कर्मियों की कमी से बढ़ रहे मामले

हुब्बल्ली-धारवाड़ पुलिस आयुक्तालय में जरूरी पुलिस कर्मियों की कमी से जुड़वां शहर में बढ़ रहे आपराधिक वारदातों पर लगाम कसने में पुलिस विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। खासतौर पर पुलिस उपनिरीक्षक पर तथा पुलिस कान्सटेबल बद अधिक संख्या में रिक्त हैं। इसके फलस्वरूप मौजूदा कर्मियों पर कार्य का दबाव भी बढ़ा है। अवकाश, विश्राम नहीं मिल पाने की स्थिति में पुलिस कर्मी हैं। मौजूदा कर्मियों पर ही अतिरिक्त कार्य का भार पड़ रहा है। इसका कार्य की कार्यक्षमता पर असर पड़ रहा है। जिला पुलिस तथा पुलिस आयुक्तालय में कुल 355 पुलिसकर्मियों की कमी है। सशस्त्र आरक्षण बल में 52 तथा डीएआर में 114 पुलिस कर्मियों की समस्या है। इसमें से पुलिस आयुक्तालय को मंजूर 1,696 पदों में से अब 1455 पदों की भर्ती हुई है। खासतौर पर दो पुलिस निरीक्षक, 21 पुलिस उपनिरीक्षक तथा 218 पुलिस कांस्टेबल पद रिक्त हैं। इसी तरह जिला पुलिस विभाग में कुल 518 पदों में 404 पदों की भर्ती की गई है। बकाया 13 पुलिस उपनिरीक्षक, एक सहायक पुलिस उपनिरीक्षक तथा सौ पुलिस कान्सटेबल पद रिक्त हैं।

आपराधिक मामलों ने नींद उड़ाई

जिले में शूटआउट, चाकू घोंपने, हत्या, जुआ, ड्रग्स का इस्तेमाल, हमला जैसे मामले बढ़ रहे हैं। इस बीच हवाई अड्डे को आने वाले वीआईपीयों की संख्या भी बढ़ रही है। इन्हें सुरक्षा उपलब्ध करना, यातायात को नियंत्रित करना अतिरिक्त कार्य होने से स्थानीय बंदोबस्त के लिए तैनाती की खातिर पुलिसकर्मी ही नहीं रह पा रहे हैं। जिले के ही गृह मंत्री हैं जिन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक की है परन्तु पुलिस कर्मियों की कमी का समाधान करने की ओर मंत्री को ध्यान देना है।

शीघ्र भर्ती का आश्वासन

हर थाने के लिए एक पुलिस निरीक्षक तथा दो पीएसआई होने चाहिए। परन्तु अधिकतर थानों में पुलिस उपनिरीक्षक तथा पुलिस कान्सटेबलों के पद रिक्त हैं। इस बारे में वरिष्ठ अधिकारी तथा गृह मंत्री से पूछने पर शीघ्र ही भर्ती करने की आश्वास दिया है।

पुरानी याचिकाओं की पुनर समीक्षा

मेरे आने से पहले वर्ष पुरानी याचिकाओं की पुनर समीक्षा कर रहा हूं। कई मीटर ब्याज के मामलों में पूर्व में उचित कार्रवाई नहीं हुई है। कुछ लोग मुझ से मुलाकात कर वर्ष पूर्व आवेदन सौंपा था, 20 बार चक्कर लगाने पर भी कार्य नहीं बना, कार्रवाई नहीं हुई की शिकायत की है। इस बारे में भी विभाग अधिकारियों की बैठक कर उचित निर्देश दिए जाएंगे। पूर्व के अपराधियों को माफ करने नहीं आया। पुराने मामलों को भी ठीक किया जाएगा, कार्रवाई की जाएगी। सोशल मीडिया सेटअप करने पर भी विचार किया है। समस्या होने पर हमारे पास आएं। मोबाइल संख्या 9480802001 एसएमएस के जरिए संपर्क करें।
आर. दिलीप, पुलिस आयुक्त, हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर

सकारात्मक विचारों को मजबूत करें

खास तौर पर तीन कारणों से अपराधिक गतिविधियां बढ़ती हैं। मूल्यों के घटने से स्वास्थ्य समाज खराब हो रहा है। आज के बच्चों को मूल्याधारित शिक्षा देने की जरूरत है। इस दिशा में अभिभावकों-शिक्षकों को अधिक जोर देना चाहिए। बुरी लते तथा अपराध सिक्के के पहलु की तरह हैं। युवाओं का अत्यधिक बुरी लतों का शिकार होना चिंता की बात है। अधिक अपराधिक कृत्य नशे की हालत में होते हैं। इसके चलते बच्चों को बूरी लतों से मुक्त होने के लिए जरूरी जानकारी देनी चाहिए। जागरुकता के कार्य होने चाहिए। सभी में अच्छे समाज निर्माण में साझेदार बनने की चेतना जगनी चाहिए। व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को समझ कर निभाने पर अपने आप अपराध घटेगा। इसके अलावा किसी भी घटना को तुरन्त प्रतिक्रिया व्यक्त करने के बजाए समस्या का लंबे समय तक समाधान करने के कार्य होने चाहिए। सहा मन में जागरुकता, सकारात्मक सोच पैदा करनी चाहिए। युवाओं में सकारात्मक विचारों को मजबूत करने के लिए आंदोलन करने की जरूरत है।
डॉ. आदित्य पांडुरंगी, मनोरोग विशेषज्ञ
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