टनल का निर्माण लोहे के सरिए/ बांस तथा पॉलीथिन की शीट से किया जाता है। इसमें सब्जियों की बुवाई के बाद ड्रिप पद्धति से सिंचाई की जाती है। यह एक तरह से सुरंग में खेती करने जैसा अनुभव है। इसके अन्दर का तापमान बाहरी वातावरण के तापमान से छह से आठ डिग्री सेल्सियस अधिक होने के कारण पौधों की वानस्पतिक वृद्धि होती रहती है। मौसम फसल के अनुकूल होने के बाद टनल को हटा दिया जाता है।
&यह तकनीक गर्म शुष्क क्षेत्रों में कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती/ बेमौसम खेती का एक बेहतरीन विकल्प है। बोई गई फसल से 40-50 दिन पहले फलों की तुड़ाई शुरू हो जाती है। पौधों की समुचित बढ़वार से पौध तैयार करने में समय कम लगता है। कीटों व बीमारियों का प्रकोप भी अपेक्षाकृत कम होता है। फसल को ठंड और पाला से बचाने में कारगर है। इसलिए इससे अधिक ठंड में भी सब्जियों की पौध सफलतापूर्वक तैयार की जा सकती है।
– डॉ. बी. आर. चौधरी, सब्जी विज्ञान के प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर