उक्त विचार मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल शालीमार बाग, नई दिल्ली के वरिष्ठ कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट एवं गुर्दा प्रत्यारोपण सर्जन डॉ.वाहिद जमान, वरिष्ठ कंसल्टेंट नैफ्रोलॉजिस्ट डॉ. दीपक जैन और डॉ.योगेश छाबड़ा ने यहां आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। डाक्टर वाहिद जमान ने कहा कि भारत में दाताओं की कमी के कारण अंग के लिए इंतजार करने के दौरान ही 90 प्रतिशत मरीजों की मृत्यु हो जाती है जिन्हें महत्वपूर्ण अंग का प्रत्यारोपण कराने की जरूरत है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में इस समय दो लाख लोग किडनी के लिए इंतजार कर रहे हैं और करीब 30,000 लोग लीवर का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने पिछले वर्ष सोनीपत जिला के गोहाना निवासी बिमला के परिजनों द्वारा लिए गए निर्णय की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिमला द्वारा अंगदान किए जाने के बाद आज देशभर में छह लोग अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में अंगों की अनुपलब्धता के कारण हर साल पांच लाख लोगों की मौत होती है। उन्होंने कहा कि सांइस तथा मेडिकल सांइस ने भले ही कितनी तरक्की क्यों न कर ली हो लेकिन आज भी अंगदान के प्रति लोगों में कई तरह की भ्रांतियां हैं। जिन्हें दूर करना बेहद जरूरी है। अंगदान से मृत्यु के बाद भी आपका शरीर दूसरे लोगों को नया जीवन देता है।
इस अवसर पर, मैक्स अस्पताल के वीपी (ऑप्रेशन्स) डॉ. अमरदीप कोहली ने कहा कि भारत का अंगदान दर दुनिया में सबसे कम है। भारत में अंगदान की दर प्रति दस लाख में 0.26 है जबकि अमेरिका में यह दर प्रति दस लाख में 26 और स्पेन में प्रति दस लाख में 36 है।