आज लघु सचिवालय में पूर्व की भांति सभी कार्यालय खुले, ई-दिशा केंद्र में भी कर्मचारी आए, लेकिन काम करवाने के लिए आने वाले लोगों की संख्या इक्का-दुक्का ही दिखाई दी। वहीं स्कूल व कॉलेजों में भी पढ़ाने के लिए पूरा स्टाफ आया, लेकिन यहां पढऩे वाले विद्यार्थी भी भय के मारे नहीं आए या उनके अभिभावकों ने नहीं भेजा। बाजार की बात करें तो कल और आज पूरा दिन दुकानें खुली रहीं, लेकिन दुकानदार हाथ पर हाथ धरे दुकान के अंदर बैठे रहे या आसपास के दुकानदार एक दुकान में एकत्रित होकर डेरा प्रकरण के संदर्भ में चर्चाएं करते रहे।
केवल किरयाने से संबंधित दुकानों पर ही ग्राहकों की संख्या अधिक देखी गई, अन्यथा कपड़ों, क्रॉकरी, जूतों, फर्नीचर, स्टेशनरी, हार्डवेयर आदि से संबंधित दुकानों में इक्का-दुक्का ग्राहक ही दुकानों पर आकर खरीददारी करके गया, जिसकी वजह से पिछली 24 अगस्त से ठप हुई उनकी रेजगारी आज भी ठप जैसी ही रही। उधर, विभिन्न रेहडिय़ां लगाकर फल, सब्जी आदि सामान बेचने वाले रेहड़ी चालक भी सब्जी मंडी सब्जियां आदि लेकर पहुंचे तो गली-गली घूमने वाले रेहड़ी चालक भी गलियों में फेरी लगाने गए। इनकी सब्जी व फल आदि सामान बेशक हाथों हाथ लोगों ने घरों से निकलकर खरीदा।
अपना नुकसान झेला लेकिन पुलिस जवानों को बचाया
गांव बेगू का किसान वो हीरो है, जिसने अपना नुकसान तो झेला लेकिन कई जिंदगियां बचाने में कामयाबी हासिल की। डेरा के अनुयायी 133 केवी बिजलीघर को फूंक रहे थे, तब यहां पर हरियाणा पुलिस के 15 जवान तैनात थे। इन जवानों ने भीड़ को जब तक हो सका, रोका। लेकिन आगजनी पर उतारु भीड़ के आगे उन्हें पीछे हटना पड़ा। इन पुलिस जवानों ने खेत के रास्ते जान बचाने के लिए दौड़ लगाई। लेकिन गुस्साई डेरा प्रेमियों की भीड़ ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। ऐसे में बेगू का किसान अमरजीत सिंह अपने खेत में स्पे्र कर रहा था, पुलिस मुलाजिम की पुकार पर उसने अपने ट्रेक्टर पर उन्हें गांव पहुंचाया और गांव मुनादी करवा दी, जिससे ग्रामीण एकत्रित हो गए और दंगाईयों की हिम्मत टूट गई। अमरजीत की सूझबूझ और साहस के चलते पुलिस जवानों की जान बच पाई लेकिन गुस्साई भीड़ ने उसका ट्यूबवेल फूंक दिया और फसल को भी नुकसान पहुंचाया।