याचिकाकर्ता भूपिंदर सिंह गोरा के वकील मोहिन्दर जोषी ने बताया कि गुरूग्रंथ साहिब के बेअदबी के मामले वर्ष 2015 में हुए थे और इसके बाद मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। लेकिन तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी इन घटनाओं के पीछे की साजिश का खुलासा नहीं किया जा सका है। इस मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित की गई एसआईटी डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों को गिरफ्तार कर रही है। लेकिन इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि डेरा समर्थक आखिर किसके इशारे पर बेअदबी कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पहले गुरूग्रंथ साहिब की चोरी की गई और इसके बाद भद्दी भाषा में पोस्टर जारी किए गए और फिर गुरूग्रंथ साहिब के अंग जमीन पर डाले गए। इन सारे मामले में साजिश के पहलू की जांच जरूरी है। याचिका पर सुनवाई के सिलसिले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश किया है। इसमें बताया गया है कि गुरूग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाओं की जांच सीबीआई को सौंपने से सम्बन्धित अधिसूचना रद्य कर दी गई है।
याचिकाकर्ता भूपिंदर सिंह गोरा ने बताया कि एसआईटी ने गुरूग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाओं के सिलसिले में डेरा समर्थकों को गिरफ्तार किया है और इनमें से कुछ ने अदालत में भी अपराध कबूल किया है। ऐसे में इस बात की जांच जरूरी है कि डेरा की कमेटी से जुडे लोग आखिर किसके इशारे पर गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि अब तक इस मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की भूमिका की जांच नहीं की गई है। डेरा प्रमुख की भूमिका की जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।