हरियाणा में वर्ष 2016 में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के बाद हरियाणा सरकार ने उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी को जाट आंदोलन में अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका की जांच का जिम्मा सौंपा गया था।
प्रकाश सिंह कमेटी ने अपनी दो रिपोर्ट दी थी। पहली रिपोर्ट में प्रकाश सिंह ने जाट आंदोलन के दौरान जहां हरियाणा में पुलिस तथा सिविल प्रशासन के करीब 90 अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था वहीं उन्होंने अपनी एक रिपोर्ट में पुलिस की खामियों को उजागर किया था।
प्रकाश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा पुलिस को बहादुर करार देते हुए कहा था कि राजनीतिक हस्तक्षेप से पुलिस की कार्यप्रणाली लचर हो चुकी है। यह पुलिस बड़े दंगों से निपटने में सक्षम नहीं है। पुलिस में सीनियर स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता नहीं है। इसी वजह से हालात काबू से बाहर हो जाते हैं। अक्सर आपात स्थिति में हरियाणा की पुलिस फैसले लिए जाने की सूरत में केंद्र की तरफ देखती है।
प्रकाश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस को दंगों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने की सिफारिश की थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि हरियाणा पुलिस के जवानों को दंगों से निपटने के लिए आधुनिक उपकरण दिए जाने की सिफारिश की थी। हरियाणा सरकार ने प्रकाश कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। जिसमें गृहसचिव, डीजीपी तथा अन्य अधिकारियों को शामिल किया गया था।
इस कमेटी का गठन हुए भी करीब एक साल हो चुका है लेकिन अभी तक कमेटी की किसी भी बैठक के परिणाम सामने नहीं आए हैं। हरियाणा पुलिस अभी भी पुराने ढर्रे पर ही काम कर रही है। हरियाणा पुलिस को आधुनिक ट्रेनिंग दिए जाने की सिफारिश करने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह पंचकूला घटनाक्रम को हरियाणा सरकार तथा हरियाणा पुलिस का बड़ा फेलियर मानते हुए कहते हैं कि जब तक पुलिस को आधुनिक ट्रेनिंग नहीं दी जाएगी तब तक प्रदेश की पुलिस पैरा मिल्ट्री तथा सेना पर ही निर्भर रहेगी।