गोमुख वशिष्ठ आश्रम में गुरु पूर्णिमा को भरेगा मेला
सिरोहीPublished: Jul 15, 2019 03:41:29 pm
इक्ष्वाकू वंश के महाप्रतापी राजा श्रीराम-लक्ष्मण के गुरु मुनि वशिष्ठ की तपस्थली, पाठशाला गोमुख वशिष्ठ आश्रम में बुधवार को मेला भरेगा।
माउंट आबू . इक्ष्वाकू वंश के महाप्रतापी राजा श्रीराम-लक्ष्मण के गुरु मुनि वशिष्ठ की तपस्थली, पाठशाला गोमुख वशिष्ठ आश्रम में बुधवार को मेला भरेगा।
महंत भक्त वत्सलशरण के अनुसार गुरुपूर्णिमा मेले में बुधवार को देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की अस्थाई आवासीय व्यवस्थाओं को लेकर तैयारियां आरंभ कर दी हैं। मेले में परंपरागत गुरुपूजन, यज्ञ, हवन, प्रसाद वितरण समेत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
गुमनामी का दंश झेलने को विवश
संत नित्यानंदशरण के अनुसार १९६० में मार्ग में पडऩे वाले हनुमान मंदिर तक सड़क निर्माण होने से आश्रम तक पहुंचने को मात्र ७५० सीढिय़ां रह गईं। १९७७ में ध्वज शिखर से वशिष्ठ आश्रम के लिए रज्जू मार्ग (रोप-वे) स्थापित करने की योजना बनी लेकिन अमलीजामा नहीं पहन पाई। १९९२ में हनुमान मंदिर से ध्वज शिखर तक सड़क मार्ग विस्तार हुआ। पर्यटन स्थल की धरोहरों के संरक्षण को कार्ययोजना तैयार करने की दरकार है। कारगर योजना के अभाव में बेशकीमती खजाने की दास्तान आने वाले समय में केवल किताबों तक ही सीमित रह जाएगी। यहां की धरोहर आश्रम गुमनामी का दंश झेलने को विवश है।
ऐसे पड़ा गोमुख नाम
जानकारों के अनुसार पूर्व में आश्रम के लिए दुर्गम पहाड़ों के मध्य से पैदल, घोड़े, खच्चरों के जरिए आवागमन होता था। १५८९ ईस्वी में दुर्गम पहाड़ों को काटकर २५०५ सीढिय़ां बनाईं गई, उसी दौरान आश्रम के समीप जलस्रोत पर ऋषि की गो कामधेनू की पुत्री नंदिनी की याद में गोमुख बनाया जिससे इसका नाम गोमुख वशिष्ठ आश्रम पड़ा।