केन्द्र एवं प्रदेश सरकारों की ओर से कुपोषण से लडऩे की तमाम योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं। महज सरकारी दस्तावेजों में सिमटकर रह जा रही हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों की दशा खराब बनी है। नतीजतन, कुपोषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। जिले में देवसर, चितरंगी और बैढऩ ब्लॉक की 1५५० आंगनबाड़ी केन्द्रों के आने वाले गांवों में जाकर सुपरवाइजरों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बच्चों का वजन और लंबाई की माप की, जो रिपोर्ट सामने आई उसमें ० से 5 वर्ष तक के एक हजार बच्चे अतिकुपोषण की श्रेणी पाए गए हैं। रिपोर्ट में देवसर ब्लॉक में सबसे ज्यादा अतिकुपोषित बच्चे पाए गए हैं जबकि दूसरे नंबर पर बैढऩ ग्रामीण है। अब चितरंगी तीसरे पायदान पर पहुंच गया है। इधर, विभागीय अधिकारी इनको कुपोषण से मुक्ति दिलाने की कार्ययोजना में जुट
गए हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग सुमन वर्मा ने बताया कि पहले की अपेक्षा वर्तमान की स्थिति काफी ठीक है। चिंहित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया है। आंगनबाड़ी के माध्यम से पोषण आहार दिया जा रहा है, ताकि जिले कुपोषणमुक्त किया जा सके।