स्किल डेवलपमेंट के तहत युवाओं को ऐसे कार्यों में दक्ष किया जाएगा, जिससे वह यहीं जिले में रहकर अच्छी आमदनी कर सकेंगे। युवाओं के साथ महिलाओं को भी स्वावलंबी बनाने के लिए न केवल प्रशिक्षित कर उन्हें विविध कलाओं में पारंगत किया जाएगा। बल्कि उन्हें आमदनी का जरिया भी मुहैया कराएगा। पूरी संभावना है कि युवा व महिलाएं स्थायी व निरंतर रूप में एक बेहतर आमदनी अर्जित कर सकेंगी।
सुरक्षा गार्ड का प्रशिक्षण देने के लिए एनसीएल का सहयोग लिया जा रहा है। युवाओं को 45 से 60 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कंपनी न केवल प्रशिक्षण में आने वाले 10 से 12 लाख रुपए का खर्च वहन करेगी, बल्कि बाद में प्रशिक्षित युवाओं को आवश्यकतानुसार नियुक्ति भी देगी। प्रशिक्षण का क्रम इसके बाद भी जारी रहेगा।
महिलाओं को औद्योगिक सिलाई मशीन उपलब्ध कराने के साथ ही विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिले भर से महिलाओं का चयन कर उन्हें औद्योगिक सिलाई के कार्यों में लगाया जाएगा। रेडीमेड कपड़ों की बड़ी कंपनी से अनुबंध होगा। ताकि, महिलाओं की ओर से तैयार उत्पाद का आसानी से बाजार उपलब्ध हो सकें।
कलेक्टर ने भ्रमण में पाया है कि चितरंगी क्षेत्र में मुर्गी पालन में लोग ज्यादा रुचि लेते हैं। आदिवासी बस्तियों में मुर्गी पालन को व्यावसायिक रूप में लेने के लिए प्रेरित व प्रशिक्षित किया जाएगा। मुर्गियों से मिलने वाले अंडों को जरूरत की स्थिति में बाहर बिक्री के लिए भी भेजने की व्यवस्था होगी। इससे अधिक आमदनी होगी।
योजना के मुताबिक, देवसर क्षेत्र में बकरी पालन के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा। कलेक्टर के मुताबिक, उन्होंने भ्रमण के दौरान लगभग हर घर में बकरी देखा है। इसे भी व्यावसायिक रूप में लिया जा सकता है। बकरी पालन का प्रशिक्षण प्राप्त कर लोग कई तरह के नुकसान से बचते हुए अधिक मुनाफा कमा सकेंगे।