इसलिए युवाओं को करना पड़ता है शिक्षक भर्ती के लिए इंतजार
सीकरPublished: May 26, 2019 05:43:09 pm
बीएड, बीएसटीसी व डीएड भर्ती का पैटर्न तय नहींशिक्षा विभाग के पास शिक्षक भर्ती का कोई कलेण्डर नहीं
इसलिए युवाओं को करना पड़ता है शिक्षक भर्ती के लिए इंतजार
सीकर. प्रदेश में हर साल बीएड व बीएसटीसी और डीएड करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है। दूसरी तरफ राज्य शिक्षक भर्तियों को लेकर तय पैटर्न नहीं बना पा रही है। हालत यह है कि दिल्ली सहित अन्य राज्यों में हर साल शिक्षक पात्रता परीक्षा होती है। लेकिन प्रदेश में औसतन तीन साल में एक रीट परीक्षा होती है। इस कारण युवाओं को शिक्षक भर्ती के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। रोचक बात यह है कि प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही शिक्षक भर्ती का पैटर्न भी बदल जाता है। जबकि प्रदेश में हर साल शिक्षक बनने की चाह में शिक्षण प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
आरपीएससी के जरिए भी हुई शिक्षक भर्ती
भाजपा राज में दो बार शिक्षक भर्ती के पैटर्न को बदला गया। पंचायतीराज से भर्ती को लेकर सबसे पहले आरपीएससी के जरिए शिक्षक भर्ती कराई गई। इसके बाद पिछली भाजपा सरकार के समय रीट व बीएड और बीएसटीसी के अंकों के आधार पर शिक्षक भर्तीी कराई गई।
जिला परिषदों के जरिए भी परीक्षा
पिछली कांग्रेस सरकार ने भाजपा के शिक्षक भर्ती के फॉर्मूले को बदल दिया। कांग्रेस ने रीट के बाद सभी जिला परिषदों के जरिए परीक्षा कराई गई। यह परीक्षा काफी विवादित भी रही। इसके बाद जब भाजपा सत्ता में आई तो फिर से यह पैटर्न भी बदला गया।
नाम भी बदला
देशभर में लागू हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा का नाम भी प्रदेश में बदल दिया गया। पहले पात्रता परीक्षा को आरटेट का नाम दिया गया। इसके बाद इस परीक्षा का नाम रीट कर दिया गया। हालांकि परीक्षा के पाठ्यक्रम में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। बेरोजगारों का कहना है कि सरकार को हर साल शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन कराना चाहिए।
भर्ती का कलैण्डर भी तय नहीं
प्रदेश में शिक्षक भर्तियों को लेकर कोई कलैण्डर तय नहीं है। इस कारण शिक्षक बनने की पढ़ाई करने वाले सैकड़ों युवा भर्ती नहीं आने पर दूसरे पदों की तैयारी में जुट जाते। युवाओं का कहना है कि हर साल भती के पद घोषित करने चाहिए, ताकि तैयारी भी आसानी से कर सके।