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हड़ताल ने रोकी पशुपालकों की राहत, गांवों में लगने थे रोजाना दो शिविर

पशुपालकों का दुर्भाग्य कहें या जिम्मेदारों की अनदेखी। प्रदेश में करीब डेढ माह पूर्व जोर-शोर से शुरू की गई मोबाइल वेटनरी यूनिट कार्मिकों के हड़ताल पर जाने से बंद है। पशुओं की आबादी की लिहाज से आवंटित मोबाइल वैन अपनी लोकेशन पर शोपीस बनी हुई खड़ी है। मोबाइल यूनिट बंद होने से ग्रामीण अंचल में बैठे पशुपालकों को निशुल्क पशुधन उपचार योजना का फायदा नहीं मिल रहा है।

सीकरApr 13, 2024 / 12:03 pm

Puran

हड़ताल ने रोकी पशुपालकों की राहत, गांवों में लगने थे रोजाना दो शिविर

हड़ताल ने रोकी पशुपालकों की राहत, गांवों में लगने थे रोजाना दो शिविर,हड़ताल ने रोकी पशुपालकों की राहत, गांवों में लगने थे रोजाना दो शिविर,हड़ताल ने रोकी पशुपालकों की राहत, गांवों में लगने थे रोजाना दो शिविर

पशुपालकों का दुर्भाग्य कहें या जिम्मेदारों की अनदेखी। प्रदेश में करीब डेढ माह पूर्व जोर-शोर से शुरू की गई मोबाइल वेटनरी यूनिट कार्मिकों के हड़ताल पर जाने से बंद है। पशुओं की आबादी की लिहाज से आवंटित मोबाइल वैन अपनी लोकेशन पर शोपीस बनी हुई खड़ी है। मोबाइल यूनिट बंद होने से ग्रामीण अंचल में बैठे पशुपालकों को निशुल्क पशुधन उपचार योजना का फायदा नहीं मिल रहा है। एक बार फिर झोलाछाप पशु चिकित्सकों के भरोसे अपने मवेशियों का उपचार करवाना पड़ रहा है। राज्य सरकार ने 108 एम्बुलेंस की तर्ज पर जिलों में मोबाइल वेटनरी यूनिट शुरू की थी।
इस कारण आई परेशानी
शेखावाटी के तीनों जिलो सीकर, चूरू, झुंझुनूं सहित 15 जिलों में 271 मोबाइल वेटनरी यूनिट को चलाने का जिम्मा मेसर्स गुणेश इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। सरकार के साथ हुए एमओयू के अनुसार जिले को आवंटित प्रत्येक मोबाइल वेटनरी वैन के जरिए दो गांवों में निशुल्क कैम्प लगाने थे। लेकिन कंपनी और कंपनी की ओर से रखे गए कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण पशुओं का उपचार मिल पा रहा है। कंपनी की ओर से प्रत्येक मोबाइल वेटरनरी वैन में एक चिकित्सक व एक कंपाउंडर रहेगा। जबकि दवाएं निशुल्क योजना के तहत दी जानी थी।
छह अप्रेल से थमे पहिए
सीकर जिले में मोबाइल वेटनरी यूनिट की ओर से छह अप्रेल से शिविर नहीं लगाए जा रहे है।जिले की 19 मोबाइल वेटनरी यूनिट में 19 चिकित्सक, 19 एलएसए और 19 चालक है। चालकों ने बताया कि यूनिट में पशुपालन विभाग की ओर से न तो पर्याप्त मात्रा में दवाएं दी जाती है और न ही कंपनी की ओर से वेतन। ऐसे में हड़ताल पर जाने का निर्णय किया गया है। सीकर के कर्मचारी, कितने, डाक्टर, कब से, कितने हड़ताल पर गए कार्मिकों ने बताया कि कंपनी की ओर से कार्मिकों वेतन नहीं दिया जा रहा है जिससे कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं।
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