बच्चों का बारातियों की तरह हुआ स्वागत
दूल्हा कार में बैठकर जैसे ही शादी वाली जगह पहुंचा तो उसके साथ ही दूसरी गाड़ी में अनाथ आश्रम के बच्चे भी बारातियों के रूप में साथ थे। बाद में सभी बच्चों का तिलकार्चन कर बारातियों की तरह स्वागत किया गया। वैसे तो शादी में बैंड बाजे और तामझाम कुछ भी न था लेकिन अनाथ आश्रम से आए बच्चों के लिए विशेष रूप से साउंड लगाया गया था। बच्चों ने इस दौरान जमकर डांस का आनन्द लिया और इन बच्चों के लिए बारातियों की तरह ही विशेष प्रकार के व्यंजन बनाए गए थे। बाद में बच्चों ने खाने पीने का भी लुप्त उठाया।
जानिए दूल्हा-दुल्हन के बारे में
-पलसाना क्षेत्र के सुन्दरपुरा गांव निवासी लक्ष्मणसिंह सांदू के बेटे दीपक बारहठ और वैदही की शादी की।
-दीपक बारहठ वीर रस के युवा कवि हैं और देशभक्ति से ओतप्रोत अपनी कविताओं से इनदिनों खासी वाहवाही बटौर रहे हैं।
-दीपक ने परिजनों को मंगनी के वक्त ही बता दिया था कि वो बिना किसी लोक दिखावे एवं तामझाम के शादी करेंगे।
-शादी में ना ही बारात लेकर लडक़ी के घर जाएंगे और ना ही दहेज लेंगे।
-बस परिवार चन्द लोगों की उपस्थिति में सात फेरे लेकर दुल्हन को घर ले आएंगे।
-दीपक की बात से परिजन और दुल्हन पक्ष के लोग भी सहमत हो गए और 19 नवम्बर को शादी तय कर दी।
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-दीपक और वैदही की शादी में केवल वैदही के रिश्तेदार और परिवार के लोग ही पहुंचे थे।
-खास बात यह थी कि दीपक की शादी में सीकर के निराश्रित बच्चे बाराती बने, जो रंग बिरंगी पोशाक में साफे बांधे हुए थे।
-इन बच्चों की उपस्थिति में ही दीपक और वैदही ने सात फेरे लिए।
-इस दौरान कलक्टर नरेश कुमार ठकराल भी वर वधू को आशीर्वाद देने के लिए पहुंचे।
-दीपक की ओर से बारात में निराश्रित आश्रम के बच्चों को बुलाए जाने को सराहनीय कार्य बताया।