sikar accident : दुनिया से एक साथ विदा हुई पांच देवरानी-जेठानी, पूरा गांव नहीं रोक पाया आंसू
शुक्रवार सुबह मोहल्ले में आकर खड़ी हुई जीप में यहां की 13 महिलाएं सवार हुई थीं। एक दिन पहले भी यही महिलाएं इसी जीप में सवार होकर मजदूरी करने गई थी। शुक्रवार को घर से निकलने के महज आधे घंटे बाद ही हादसा हो गया और सात की मौत हो गई।
शव लेने को तैयार हुए परिजन
-शुक्रवार को हादसे के बाद मृतक महिलाओं के परिजनों ने दस लाख रुपए के मुआवजे की मांग को लेकर शव लेने से इनकार कर अस्पताल में धरना शुरू कर दिया था।
– वहीं शनिवार को नीमकाथाना में प्रस्तावित सीएम राजे की गौरव यात्रा में अपनी मांग को लेकर छह महिलाओं के शव ले जाने का फैसला किया गया था, मगर शनिवार सुबह सीकर जिला कलक्टर व एसपी ने धरनार्थियों के प्रतिनिधिमंडल से पुलिस थाने में वार्ता की और आश्वासन दिया कि प्रतिनिधिमंडल की शाम को सीएम से मुलाकात करवाई जाएगी, जिसमें वे अपनी मांग सीएम के सामने रख सकेंगे।
-इस आश्वासन के बाद धरना समाप्त कर शव लेने का तैयार हो गए। शनिवार दोपहर 12 बजे तक शवों का पोस्टमार्टम करवाया जा रहा था। दोपहर बाद सभी महिलाओं का एक साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पति ने मना भी किया था, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था
हादसे में मौत का शिकार हुई संतरा देवी के पति ने शुक्रवार को मजदूरी पर जाने के लिए मना भी किया था और कहा था कि कुलदेवी के चलेंगे। पर उसने कहा कि एक दिन बाद चलेंगे और मजदूरी पर चली गई। संतरा की तीन बेटियां व दो बेटे हैं। पति भी मजदूरी करता है लेकिन वह अपनी बेटी को मजदूरी करके भी जयपुर में पढ़ा रही थी। मौत का शिकार हुई सरस्वती देवी के पति की पहले ही मौत हो चुकी है। बेटे भी मजदूरी करते हैं। घायल हुई भारती के पिता मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं और भाई भी विक्ष्पित हैं। वह अपनी मां के साथ मजदूरी करके ही परिवार को पालती है। सुशीला अपने पीहर आई थी और आर्थिक स्थिती दयनीय होने के कारण यह भी मजदूरी करने चली गई।
लौट गए हलवाई व भजन पार्टी
कांवट के सैनी के मोहल्ले के सैकड़ों लोग शाकंभरी माता के दर्शन के लिए पदयात्रा पर गए थे। वे शुक्रवार शाम तक वहां पहुंचने वाले थे। इसके लिए दिल्ली से भजन पार्टी के लोग और हलवाई सुबह ही शाकंभरी पहुंच भी गए थे। सभी ने अपनी-अपनी तैयारी भी शुरू कर दी, लेकिन हादसे की सूचना मिलने के बाद सभी वापस लौट गए। पदयात्रियों का जत्था बीच रास्ते से ही वापस लौट गया।
108 पहुंची न 100 नंबर पर बात हुई
हादसे में इतने लोगों की मौत की एक और बड़ी वजह है वह है समय पर इलाज नहीं मिल पाना। दुर्घटना स्थल के पास ही रहने वाले भादवाड़ी निवासी बंशीलाल व मूलचन्द ने बताया कि मौके पर 108 एंबुलेंस समय पर पहुंचती और लोगों को समय पर इलाज मिलता तो कुछ जानें बच सकती थी।
उन्होंने बताया कि दुर्घटना की सूचना देने के लिए कांवट चौकी इंचार्ज को फोन किया तो फोन बन्द आ रहा था। 100 नंबर पर बार-बार फोन करते रहे लेकिन किसी ने उठाया ही नहीं। 108 को भी कई बार फोन लेकिन एक घण्टे तक गाड़ी नहीं पहुंची। लोगों ने अपने स्तर पर ही निजी वाहनों से सभी को अस्पताल पहुंचाया।