पिपराली और नवलगढ़ रोड पर गंभीर है स्थिति
सीकर शहर का औसत आंकड़ा देखा जाए तो यहां 80 अधिक कोचिंग संस्थान, करीब तीन सौ स्कूल है। अधिकतर शिक्षण संस्थाएं शहर के पिपराली रोड और नवलगढ़ रोड पर चल रहे है। इसके अलावा शहर के सभी क्षेत्रों में यहां तक की गलियों में कोचिंग संस्थाएं खोल दी गई। जानकारों का मानना है कि इन संस्थाओं में एक लाख से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रही है। इनमें से अधिकतर छात्रावासों और किराए के मकानों में रह रही है।
नियमों की नहीं हो रही पालना
शहर के विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति पर नजर डाले तो सामने आता है कि बिल्डिंग बायलॉज की धज्जियां जमकर उड़ाई गई है। कई संस्थानों में अलग से ना तो पार्किग है और ना ही आग बुझाने के संसाधन। जबकि सरकार ने चार वर्ष पहले कोचिंग संस्थानों के संचालन के लिए नियम जारी किए थे। इसके बावजूद अधिकतर इमारतों में तो फायर की एनओसी तक नहीं ली है। नियमानुसार कोचिंग संस्थान 40 फीट या उससे चौड़ी सडक़ व तीन सौ मीटर से बड़े भूखण्ड पर ही खेाले जा सकते हैं। प्रवेश व निकासी अलग होना चाहिए।
हकीकत
दस से 25 फीट चौड़ी सडक़ पर पचास से सौ वर्ग गज के भूखंड पर ही दो से तीन मंजिल तक के संस्थान खोल दिए गए। तीन से चार फिट के तंग रास्ते में विद्याार्थी मशक्कत करते देखे जा सकते हैं।
पार्किंग की आग दे सकती है बड़ा नुकसान
आग के नुकसान से बचने के लिए पार्र्किंग कोचिंग संस्थान से दूर होनी चाहिए। कारण कि वाहनों में डीजल और पेट्रोल भरा रहता है। नियमानुसार प्रत्येक अभ्यर्थी पर एक इसीयू होना जरूरी है। कुल इसीयू का 25 फीसदी चौपहिया व 75 फीसदी दोपहिया वाहनों की पार्किंग होनी चाहिए। सही पार्किंग होने से हादसों को टाला जा सकता है। गौरतलब है कि इमारतों में पर्याप्त पार्किंग नहीं होने की वजह से वाहनों को इधर-उधर खड़ा करना पड़ता है। वहीं संचालकों ने इस बावत अभी तक कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए हैं।
हकीकत
पार्किंग के लिए जगह छोड़ी ही नहीं गई है। कक्षा के नीचे ही दीवार के सहारे वाहन खड़े किए जा रहे हैं। आग लगने पर गाडिय़ों में भरा पेट्रोल-डीजल आग को भडक़ाने का काम करेगा। कोचिंग संस्थानों में अग्निशमन यंत्र को लेकर भी लापरवाही बरती जा रही है। अतिक्रमण और तंग रास्ते होने के कारण गलियों में संचालित कोचिंग संस्थानों और छात्रावासों तक दमकल की गाड़ी भी नहीं पहुंच सकती है। इसके अलावा अधिकतर संस्थानों में फायर फाइटिंग सिस्टम भी नहीं लगे हैं। जहां पर लगाए गए हैं, वे भी महज दिखावा है। नियमानुसार फायर फाइटिंग सिस्टम के लिए जमीन और छत दोनों स्थानों पर ढाई हजार लीटर से अधिक के टैंक बने होने चाहिए।
कोचिंग संस्थान यह कर सकते हैं व्यवस्था
-प्रत्येक कोचिंग संस्थान हर मंजिल के लिए अलग से सीढी़ की व्यवस्था रखे। इसके अलावा रस्से और रस्सी से बनी सीढिय़ां भी रखी जानी चाहिए, जिससे हादसा होने पर छात्रों को जान बचाने के लिए छत से कूदना ना पड़े।
-कोचिंग संस्थान की छत को खाली रखा जाना चाहिए। वहां पर महज पानी का टैंक होना चाहिए। ऐसे में छात्र बचाव में नीचे कूदने की बजाय छत पर जाकर जान बचा सके।
-संस्थान की दीवार के पास कहीं पर बिजली का ट्रांसफार्मर लगा हो तो उसे तत्काल हटाकर दूर किया जाए। बिजली के ढीले तारों को भी ठीक करवाया जाए। जिससे हादसे की संभावना कम हो सके।
-पार्र्किंग को क्लास रूम से दूर रखा जाए। आम रास्ते व क्लास के रास्ते में भी वाहन खड़े नहीं किए जा सके। ऐसे में हादसा होने पर दमकल को पहुंचने में परेशानी नहीं हो और वाहन में आग लगने पर संस्थान को नुकसान की संभावना हो।
-संस्थान के चारों तरफ खाली जगह रखी जाए, जिससे दमकल गाडिय़ां चारों तरफ से पानी डाल सके।
-सभी भवनों में फायर फाइटिंग सिस्टम का इंतजाम किया जाए। साथ ही कर्मचारियों को इसे चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाए।
-अभिभावक भी जागरूकता रखे। आग से बचाव के संसाधन नहीं रखने वाले कोचिंग संस्थान में छात्रों का प्रवेश नहीं करावे।
-नगर परिषद, प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम लगातार संस्थानों की जांच करें और नियमविरूद्ध चलाने वाले संस्थानों के भवन का धारा 194 के तहत सीज करने की कार्रवाई की जाए।