झुंझुनूं कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 2 अगस्त को रेप, 10 दिन में चालान, 29वें दिन फांसी की सजा
वह तीन वर्ष की मासूम ना ढंग से बोल पाती है और ना ही बता पाती है। लेकिन मामला सामने आने और आरोपित के पकड़े जाने के बाद उसने अपनी आंखों से आरोपित को शिनाख्त परेड के दौरान पहचान लिया। न्यायालय में भी बयान उसने इशारों में दिया। इशारों में उसने वह कुछ बता दिया, जो अपराधी को मौत की सजा के लिए काफी था।
अपर लोक अभियोजक लोकेन्द्र सिंह ने बताया कि इस मामले में न्यायालय में 19 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए और 35 दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए। आरोपित ने अपने इस घ्रणित कृत्य के संबंध में न्यायालय में कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से आरोपित की मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें उसे शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ बताया गया।
ऐसे में न्यायालय ने कहा कि आरोपित के प्रति नरमी अपनाने का कोई कारण नहीं है। उसका नवयुवक होना और उसके नवजात शिशु का होने के आधार पर नरमी नहीं अपनाई जा सकती।
न्यायाधीश नीरजा दाधीच ने दौसा जिले के अलीपुर तन महरिया निवासी विनोद कुमार बंजारा को धारा 450 के तहत दस वर्ष के कठोर कारावास, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 3/4 के तहत आजीवन करावास और धारा 376 ए, बी के तहत मृत्युदंड से दंडित किया है।
न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधीकरण को पीडि़ता को शारीरिक व मानसिक क्षति के पुनर्वास के लिए राजस्थान पीडि़त प्रतिकर स्कीम, 2011 के नियमों के अनुसार पीडि़ता को उचित मुआवजा देने का आदेश दिया है।