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राजस्थान का रण : शेखावाटी में भाजपा को पहली बार मिला पूरा समर्थन, फिर भी नहीं हुए ये काम

locationसीकरPublished: Sep 20, 2018 09:01:28 am

Submitted by:

vishwanath saini

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विनोद सिंह चौहान
सीकर. विकास के सपने और कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने में भाजपा भले ही विधानसभा चुनाव 2013 में सफल रही हो। लेकिन शेखावाटी की जनता को साढ़े चार वर्ष बाद भी उम्मीदों का झुनझुना ही हाथ लगा है। वर्ष 2013 के चुनाव में शेखावाटी की जनता ने भाजपा को 11 सीट देकर सत्ता की दहलीज तक पहुंचाया था। जनता को उम्मीद थी कि बदलाव के सहारे उनके सपने भी पूरे होंगे। लेकिन सीकर, चूरू व झुंझुनूं जिले की सबसे बड़ी मांग ‘पेयजल’ पर भाजपा अपने वादे पूरे नहीं कर सकी।

 

पिछले चुनाव में भाजपा ने आपणी योजना, कुम्भाराम लिफ्ट परियोजना व यमुना के पानी के जरिए विपक्ष को खूब घेरा था। अब स्वयं, आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा अब इसी मुद्दे पर सबसे ज्यादा घिरती हुई नजर आ रही है। चूरू जिले में गौरव यात्रा का पहला चरण पूरा हो चुका है। झुंझुनूं व सीकर जिले में 22 सितम्बर 2018 से गौरव यात्रा का पहला चरण शुरू होगा। इससे पहले शेखावाटी की सियासत व मुद्दों को लेकर पत्रिका की विशेष स्टोरी।

 

झुंझुनूं
नया कुछ नहीं, पुरानी में ही उलझे युवाओं में नाराजगी
झुंझुनूं जिले में सांसद, विधायक व निर्दलीयों का सहारा मिलने के बाद भी जनता को कोई बड़ा तोहफा नहीं मिला। कांग्रेस सरकार के समय हुई खेल विवि के स्थान पर महज खेल अकादमी खुलने के कारण भी युवाओं में नाराजगी है।


चूरू
राठौड़ व रिणवां की जोड़ी, मिला मेडिकल कॉलेज
चूरू में राजेन्द्र राठौड़ व राजकुमार रिणवां की जोड़ी में भले ही सियासी दूरियां रही हो, लेकिन चूरू को मेडिकल कॉलेज दिलाने में सफल रहे। उधर, चूरू में आपणी योजना के दूसरे चरण का काम अटकने से जनता में मायूसी है।


सीकर
मंत्रिमंडल में भी जगह, फिर भी खाली हाथ
सीकर के विधायक पहले तो मंत्रिमण्डल में जगह के फेर में उलझे रहे। मंत्रिमंडल में जगह भी मिली, लेकिन जनता को कुछ नहीं दिला सके। मेडिकल कॉलेज, मिनी सचिवालय, पेयजल जैसे एक भी बड़े मुद्दे को धरातल पर लाने में पूरी तरह फेल रहे।


सत्ता और संगठन में तालमेल नहीं
भाजपा के पिछले कार्यकाल में शेखावाटी को कई बड़े तोहफे मिले। इस बार सत्ता और संगठन में तालमेल नहीं होने का खामियाजा शेखावाटी की जनता को भुगतना पड़ा। हालत यह है कि तीनों जिलों में संगठन से विधायकों की दूरी रही। इस कारण आम कार्यकर्ताओं में भी भाजपा के प्रति आक्रोश है। जनसंवाद व गौरव यात्रा में कई विधानसभा क्षेत्रों में यह सामने भी आ चुका है।

आपसी गुटबाजी हावी, टूटी उम्मीद
तीनों जिलों में भाजपा में आपसी गुटबाजी हावी रही। सीकर, चूरू व झुंझुनूं जिले में भाजपा नेताओं की आपसी खींचतान के कारण जनता की उम्मीद टूटती गई। हालत यह है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा पहली बार जीती वहां भी पार्टी का जनाधार खिसकता हुआ नजर आ रहा है।

 

सीकर में पांच सीट, चूरू में चार व झुंझुनूं में दो सीट
सीकर विधानसभा में भाजपा को पहली बार पांच सीटे मिली। जबकि चूरू जिले में चार व झुंझुनंू जिले में दो सीटों पर संतोष करना पड़ा। सीकर व चूरू जिले में भाजपा को इससे ज्यादा जनाधार कभी नहीं मिला। चूरू जिले की जनता ने भी भाजपा को चार सीट देकर सबसे बड़े दल का तोहफा दिया था।

 

कांग्रेस भी नहीं भुना सकी एक भी मुद्दा
शेखावाटी में लंबे अर्से से कांग्रेस का प्रभाव रहा है। यहां ज्यादातर विधानसभा सीट कांग्रेस के प्रभाव वाली है। लेकिन भाजपा की कमजोरियों को कांग्रेस भी भुनाने में पूरी तरह असफल रही। एक भी बड़े मुद्दे पर कांग्रेस ने शेखावाटी में कोई आंदोलन नहीं किया। ज्यादातार विधानसभा क्षेत्रों में वर्तमान विधायक व पार्टी पदाधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में सीमित रहे। इस बीच माकपा ने बिजली दर बढ़ोतरी व कर्जा माफी को लेकर आंदोलन जरूर किया, लेकिन कांगे्रस इसको भी भुना नहीं सकी।

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