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हाट बाजार की खुली राह, झाड़ झंकाड़ से मिली निजात

locationसीकरPublished: Aug 09, 2019 12:26:20 pm

Submitted by:

Puran

जिला उद्योग केन्द्र जल्द बदलेगा हाट बाजार की सूरत

जिला उद्योग केन्द्र जल्द बदलेगा हाट बाजार की सूरत

हाट बाजार की खुली राह, झाड़ झंकाड़ से मिली निजात


सीकर. जयपुर रोड पर बरसो से उपेक्षा का दंश भोग रहे सीकर हाट बाजार की जिला उद्योग केन्द्र ने सुध ले ली है। जिला उद्योग केन्द्र ने हाट बाजार परिसर में उगे झाड़ झंकाड़ को हटवाया। राजस्थान पत्रिका के गुरुवार के अंक में प्रकाशित खबर के बाद जिला उद्योग केन्द्र के अधिकारियों ने परिसर की जमीन की लेवलिंग करवाई। सीकर हाट बाजार को उद्यम प्रोत्साहन संस्थान के नाम से जाना जाएगा। उद्योग केन्द्र का मानस है कि जिला मुख्यालय पर होने वाले जिला स्तरीय आयोजन अब हाट बाजार परिसर में ही हो। सब कुछ ठीक रहा तो जिला स्तर पर लगने वाले छोटे मेले का आयोजन भी हाट बाजार परिसर में करवाया जाएगा। इसके अलावा यहां हैंडीक्राफ्ट के विक्रेता और खरीददारों की बैठकें करवाई जाएगी। जिससे लघु उद्योगों को प्रोत्साहन मिल सके।
यह रहा कारण
जयपुर रोड पर राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान की ओर से अरबन हाट बाजार के लिए से पंाच हजार गज जमीन दी गई। तत्कालीन राज्य सरकार ने निर्माण के लिए 90 लाख रुपए स्वीकृत भी कर दिए। इस राशि से आवास विकास इंस्फ्रास्ट्रक्चर ने आधा अधूरा निर्माण भी कर दिया। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से शेष राशि (2.10 करोड़ रुपए) भुगतान नहीं किए जाने से निर्माण कार्य अधूरा रह गया।

यह था उद्देश्य
शेखावाटी में लघु उद्योग का व्यापार बहुतायत में होता है। अरबन हाट बाजार खुलने से हैंडीक्राफ्ट, मनिहारी, मूर्तिकला व चर्म इकाई के लघु व्यापारियों को यहां व्यापार करने का मौका मिलता। हाट बाजार में कारोबार करने के लिए उन्हें एक समय सीमा के लिहाज से तय राशि जमा करवानी पड़ती। कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने का मौका मिलता।

पहले मुख्यालय, अब जिला स्तर पर
प्रदेश में हाट बाजारों की मॉनिटरिंग को लेकर अब मुख्यालय गंभीर हो गया है। अधूरे निर्माण को पूरा करवाने के लिए केन्द्र से बजट की मांग की जाएगी। हाट बाजार को अस्तित्व में लाने के लिए जिला स्तर पर मॉनिटरिंग की जाएगी। इसके लिए उद्योग विभाग ने संबंधित जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इसके पीछे लघु उद्योगों को बढ़ावा देने की योजना है। जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक धर्मेन्द्र शर्मा ने बताया कि बाजार नहीं मिलने के कारण लघु उद्योग धंधे पनप नहीं पाते है।
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