यहां कोई लाडला शहीद होता है तो उसका मासूम बेटा कहता है पिता की जैसी ही वर्दी अब मैं पहनूंगा। पीछे नहीं हटूंगा, बल्कि पिता की शहादत का बदला लूंगा। मां कहती है फर्क है मुझे मेरे लाल पर जिसने दूध को लजाया नहीं। पिता कहता है एक और बेटा होता तो उसे भी सेना में भेज देता। करगिल के दौरान दुश्मनों को धूल चटाने वालों में सर्वाधिक फौजी शेखावाटी के ही थे। करगिल विजय दिवस 2018 पर पेश है शेखावाटी की फौजियों की यह विशेष रिपोर्ट।
महावीर चक्र नायक दिगेंद्र सिंह सीकर
सीकर जिले के नीमकाथाना क्षेत्र के झालरा गांव निवासी नायक दिगेन्द्र सिंह व अन्य ने 12 जून 1999 की रात को करगिल की पहाड़ी पर पाक की नॉर्दन लाइट इंफेंट्री पर कब्जा जमा लिया था। इस दौरान दिगेन्द्र सिंह के सीने में दुश्मन की पांच गोलियां लग गई, मगर इस महावीर ने मौत की परवाह किए बिना दुश्मन के ठिकानों पर धावा बोला। अगले दिन सूरज की पहली किरण के साथ तोलोलिंग की पहाड़ी पर तिरंगा लहरा दिया था।
‘जंग का ऐलान हुआ तो मैं भी जाऊंगा लडऩे… इस बार गया तो 100 को मारकर आऊंगा…’
इनको राष्ट्रपति ने महावीर चक्र से नवाजा था। उल्लेखनीय है कि उरी हमले के बाद 29 सितम्बर 2018 सर्जिकल स्ट्राइक के समय भारत-पाक के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा होने पर दिगेन्द्र सिंह ने इच्छा जताई थी कि अगर युद्ध हुआ तो वे अपनी यूनिट के पास जाकर फौजी भाइयों के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर पाक को मुंह तोड़ जवाब देना चाहेंगे।
क्या था ऑपरेशन विजय 1999
ऑपरेशन विजय भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने दावा किया कि लडऩे वाले सभी कश्मीरी आतंकी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी। लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और करीब 5,000 घुसपैठिए इसमें शामिल थे।
कब हुआ-
मई-जुलाई 1999
स्थान- करगिल जिला, जम्मू-कश्मीर, भारत
परिणाम- भारतीय विजय, पाकिस्तानी सेना की वापसी, भारत का अपनी भूमि पर पुन नियंत्रण