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हनुमान जयंती विशेष : राजस्थान के इस हनुमान मंदिर में रखा है ‘चमत्कारी हल’, गांव में नहीं पड़ते ओले

ग्रामीण सेवानिवृत प्रधानाचार्य जगदीश योगी ने बताया कि बावड़ी के बालाजी मंदिर के प्रताप ने गांव को प्राकृतिक प्रकोप से बचा रखा है। मंदिर निर्माण के बाद से अब तक क्षेत्र में ओलावृष्टि या अन्य प्राकृतिक आपदा नहीं आई है। मंदिर का धागा बांधने पर पशुओं तक के रोग भी ठीक हो जाते हैं।

सीकरApr 23, 2024 / 12:37 pm

जमील खान

सचिन माथुर
सीकर/बावड़ी. जिले में एनएच 52 स्थित बावड़ी का बालाजी मंदिर आस्था के साथ अचरज का बड़ा केंद्र है। करीब 50 साल पुराने के इस मंदिर के निर्माण में भामाशाहों के अलावा ईंट व पत्थर परिवहन करने वाले चालकों की भी अहम भूमिका रही है। जो मंदिर के सामने से गुजरने पर ईंट व पत्थर चढ़ाने की परंपरा लंबे समय से निभा रहे हैं। उन्हीं ईंटों से भव्य रूप ले चुके इस मंदिर में हनुमानजी के साथ योगी ओंकारनाथ महाराज की मूर्ति सहित एक हल भी जमीन में गड़ा है। इसका चमत्कार भी गांवों में चर्चा का बड़ा विषय है।
हल में नहीं लगी दीमक
योगी के अनुसार मंदिर निर्माण से पहले ठठेरा निवासी संत ओंकारनाथ ने गांव की रक्षा के लिए एक लकड़ी का उल्टा हल जमीन में गाड़ा था। इसके बाद कांकड़ के हनुमानजी प्रतिष्ठित किए थे। इतने साल बीतने पर भी हल में दीमक नहीं लगना अचरज का विषय है। ओंकारनाथ के प्रति आस्था को देखते हुए करीब दस साल पहले मंदिर में उनकी भी मूर्ति प्रतिष्ठित की गई।
मंदिर निर्माण के बाद से नहीं पड़े ओले
ग्रामीण सेवानिवृत प्रधानाचार्य जगदीश योगी ने बताया कि बावड़ी के बालाजी मंदिर के प्रताप ने गांव को प्राकृतिक प्रकोप से बचा रखा है। मंदिर निर्माण के बाद से अब तक क्षेत्र में ओलावृष्टि या अन्य प्राकृतिक आपदा नहीं आई है। मंदिर का धागा बांधने पर पशुओं तक के रोग भी ठीक हो जाते हैं।
गृहस्थ से सन्यासी बने ओंकारनाथ
ठठेरा निवासी ओंकारनाथ का सौंथलिया गांव में ननिहाल था। उन्होंने संत इमरती नाथ से दीक्षा लेकर गृहस्थ धर्म त्याग वैराग्य अपनाते हुए तप किया था। ग्रामीणों के अनुसार आगजनी, ओलावृष्टी जैसी प्राकृतिक आपदाओं सहित ग्रामीणों व पशुओं को बीमारी व महामारी से भी बचाया। कहा जाता है कि वे गिरते ओलों को बीच में ही रोक देते थे। समाधि से पहले लोगों की प्रार्थना पर उन्होंने बावड़ी व सौंथलिया में कांकड़ के हनुमानजी के मंदिर की नींव रखी थी। जो भव्य रूप लेने के साथ आस्था का बड़ा केंद्र बन गया है। मंदिर में रामनवमी पर मेला लगता है। इसमें काफी लोग शामिल होते हैं।

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