शेखावाटी अंचल के सीकर, झुंझुनूं और चूरू जिले में परिवहन विभाग ऑटो रिक्शा के पंजीयन में वर्षों से मोटर वाहन अधिनियम के तहत बने नियमों व उपनियमों का वर्षों से मखौल उड़ा रहा है। दावे में बताया गया है कि राजस्थान मोटर वाहन (यान) अधिनियम, 1990 के तहत प्रदेश में संचालित होने वाले वाहनों के संबंध में चालकों की अनुज्ञप्ति, पंजीयन, परिवहन वाहनों का नियंत्रण, मोटर वाहनों का निर्माण रिक्शा व टैम्पो के ढांचों को नियंत्रित करने के लिए नियम, यातायात नियम व इनसे संबंधित जुर्माने का विस्तृत विवरण दिया गया है। इन नियमों की पालना करवाने के लिए पविहन वहन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी जिम्मेदार है, लेकिन वे इस मामले में गंभीरता नहीं बरत रहे हैं।
चैचिस को बढ़ा कर करवा लेते हैं पंजीयन शेखावाटी अंचल में अधिकतर ऑटो क्रांति ऑटो मोबाइल लिमिटेड, न्यू दिल्ली और केरला ऑटोमोबाइल, त्रिवेन्दपुरम (केरल) कंपनी के है। कंपनी की ओर से ऑटो बेचे जाने के दौरान उनके चैचिस का नमूना, वजन वहन करने की क्षमता का विस्तृत विवरण दिया जाता है, लेकिन यहां पर ऑटो की खरीद के बाद अधिक सवारी बैठाने की मंशा से मूल ऑटो रिक्शा के चैचिस को अपने मुताबिक परिवर्तन कर बढ़ा लिया जाता है। खास बात है कि सांठ-गांठ के चलते परिवहन विभाग बढ़े हुए चैचिस के ऑटो का पंजीयन भी कर देता है। जबकि कानूनन ऐसा नहीं किया जा सकता है।
नियम विरुद्ध किए जा रहे ऑटो रिक्शा के पंजीयन को लेकर वर्ष 2001 में 8 मई को परिवहन विभाग के अधिकारियों को विधिक नोटिस भेजा गया था। नोटिस में ऑटो रिक्शा के चैचिस से छेड़छाड़ से अवगत करवाया गया। इस दौरान राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित समाचार का भी हवाला दिया गया। इस पर परिवहन अधिकारियों ने इस तरह के ऑटो का पंजीयन बंद कर दिया, लेकिन कुछ समय बाद ही नियम विरुद्ध पंजीयन फिर शुरू कर दिया गया।
दावे में पेश की गई पत्रिका के समाचार की कटिंग परिवहन विभाग की और से इस मामले में गंभीरता नहीं बरतने पर पांच सितम्बर 2010 को पत्रिका के सीकर संस्करण में इस संबंध में प्रकाशित कटिंग के साथ परिवहन विभाग को भेजा गया विधिक नोटिस, कंपनी के कैटलोग सहित 25 दस्तावेज पेश किए गए।
दावे में सीकर के जिला कलक्टर, परिवहन विभाग के सचिव, आयुक्त, सीकर के क्षेत्रीय परिवहन व जिला पविहन अधिकारी के साथ ऑटो निर्माता कंपनियों को भी इसमें पार्टी बनाया गया था। दावा वर्ष 2009 में 17 अगस्त को पेश किया गया था। इसकी तामिल भी करवा दी गई थी, लेकिन दस वर्ष में जिम्मेदार अधिकारियों में से किसी ने भी न्यायालय में उपस्थित होकर जवाब पेश नहीं किया। अधिकारियों ने दावे में अंकित तथ्यों का खंडन भी नहीं किया। इससे साफ जाहिर है कि अधिकारियों ने प्रकरण की जानबूझकर अनदेखी की है।
अधिवक्ता निर्मल कुमार शर्मा ने बताया कि न्यायालय ने एक तरफा डिक्री कर परिवहन विभाग के अधिकारियों और जिला कलक्टर को आदेश दिया है कि जिन ऑटो रिक्शा में नियमों की अवहेलना की गई है। उन सभी को दो माह में चिह्नित कर निरस्त करें। भविष्य में नियम विरुद्ध किसी भी ऑटो का पंजीकरण नियम विरुद्ध नहीं किया जाए। उक्त नियमों के विरूद्ध परिवहन विभाग के किसी भी अधिकारी व कर्मचारी और से पंजीयन करवाया जाता है तो विधी अनुसार कार्रवाई की जाएगी। आदेश की पालना के लिए पुलिस अधीक्षक, सीकर को निर्णय की प्रति सौंपी गई है।