सीकर जिले को भाजपा सरकार से बड़ी सौगात मिलना तो दूर जो बड़े प्रोजेक्ट पहले चल रहे थे उनको भी अटका दिया गया। फतेहपुर लक्ष्मणगढ़ के मीठे पानी की योजना तो ठंडे बस्ते में चली गई। जिस योजना का काम पिछली सरकार के कार्यकाल में शुरू हो गया था। सीकर में मिनी सचिवालय, पुलिया को फोरलेन करने व मेडिकल कॉलेज के प्रोजेक्ट आज भी अटके हैं।
पेश है तीनों विधानसभा क्षेत्रों की ग्रांउड रिपोर्ट
सीकर: मेडिकल कॉलेज, मिनी सचिवालय जैसे कई वादे अधूरे
मेडिकल कॉलेज: जिला मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज की कवायद पिछले पांच साल से चल रही है। कॉलेज का भवन बना रहा है और शुरू होने से पहले ही सरकार ने यहां प्राचार्य की नियुक्ति भले ही कर दी हो लेकिन अभी भी तय नहीं है कि मेडिकल कॉलेज कब शुरू होगा। जबकि सीकर के साथ घोषित हुए अन्य कॉलेज शुरू हो चुके हैं।
मिनी सचिवालय: पिछले पांच साल से लगातार इसकी मांग चल रही है। हर बार कलक्टर कांफ्रेंस में भी बजट मांगा गया है। इसके बाद भी अभी तक कुछ नहीं मिला है। नवलगढ़ पुलिया को फोरलेन करने को लेकर भी कोई घोषणा नहीं हुई।
सीवरेज व नगर परिषद भवन: जिस सीवरेज को पिछलीे कांग्रेस सरकार ने पांच साल तक लटकाए रखा था उसका काम इस सरकार में भी पूरा नहीं हो पाया। करीब 10 साल से अटके पड़े सीवरेज का काम कब पूरा होगा अभी तय नहीं है। शहरवासियों को इसकी सौगात नहीं मिल पाई है। नगर परिषद भवन का शिलान्यास पिछली सरकार के वक्त हो गया था। अभी तक इसका काम पूरा नहीं हुआ है।
फतेहपुर: नहरी पानी आया नहीं, नगरपालिका ने कर दी शहर की दुर्गती
पेयजल योजना: फतेहपुर व लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र के लोगों को फ्लोराइड के पानी से मुक्ति दिलाने के लिए करीब छह वर्ष पहले स्वीकृत हुई फ तेहपुर लक्ष्मणगढ़ वृहद पेयजल परियोजना अब तक पूर्ण नहीं हुई। जबकि यह योजना मई 2016 में पूरी होनी थी। खास बात यह है कि इस संबंध में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विधानसभा में कई बार योजना पूर्ण करने की घोषणा कर दी। मीठे पानी के लिए लोगों का इंतजार बढ़ता जा रहा है। फ तेहपुर व लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र के 283 गांव व तीन कस्बों में उपलब्ध पानी फ लोराइड युक्त है। इसके चलते वर्ष 2012 में कांग्रेस सरकार ने फ तेहपुर लक्ष्मणगढ़ वृहद पेयजल प्रोजेक्ट के लिए 866 करोड़ रूपये की मंजूरी दी थी।
सीवरेज व पानी निकासी: थोड़ी सी बरसात होते ही फतेहपुर शहर टापू बन जाता है। शहर की गलियों में फैली दुर्गंध व जगह जगह पसरा कचरा। बारिश के मौसम में तो यहां की हालत नरक से कम नहीं होती। पांच साल पहले शुरू हुआ सीवरेज का काम आज भी पूरा नहीं हुआ है। नगरपालिका ने शहर की दुर्गती करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बार बार सीवरेज कंपनी का समय बढाया। पालिका ने एक भी काम ऐसा नहीं किया जिसका भविष्य में फायदा मिले। आसपास के वन विभाग के इलाके को कचरे से भर दिया। जिससे वन क्षेत्र खराब हो गया।
लक्ष्मणगढ़: न कॉलेज मिला न सडक़ें
मुख्यमंत्री की यात्रा के राजनैतिक मायने भले ही कुछ भी हों लेकिन क्षेत्रवासी इसे अपनी कई समस्याओं के समाधान की संभावनाओं के रूप में देख रहे है। लोगों को उम्मीद है कि बरसों से जिन समस्याओं को वे झेलते आ रहे है उनके समाधान की घोषणा मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान की जा सकती है। मौजूदा कार्यकाल की बात की जाए तो सरकार ने लक्ष्मणगढ़ को कोई सौगात नहीं दी है। मीठे पानी योजना को सरकार ने पूरी तरह से ठंडे बस्ते में डाल दिया। साठ हजार आबादी वाले कस्बे व दो लाख से अधिक मतदाताओं वाले उपखण्ड सरकारी कॉलेज नहीं खुल पाया है।
सरकारी कॉलेज की कमी खासतौर पर अनुदानित शिक्षण संस्थाओं को बन्द करने के बाद से ज्यादा खल रही है। मुख्यालय पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द में सबकुछ भगवान भरोसे है। चिकित्सों की कमीं की वजह से लोगों को इलाज नहीं मिल पाता है। कस्बे की मुख्य लिंक रोड़ की हालत बेहद जर्जर है। इस रास्ते से कस्बे में प्रवेश करने वाले लोगों को यह यात्रा किसी सजा की तरह प्रतीत होती है। ब्रॉडगेज के लिए नई डालने के बाद से इलाके के सैकड़ों गांवों के लोग अंडरपास में भरने वाले पानी से परेशान हैं।